निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
साहित्य और विज्ञान का अंतर लक्ष्य को लेकर है। साहित्य का लक्ष्य है आनंद , जिसका माध्यम है सौंदर्य । परंतु विज्ञान आनंद को अपना लक्ष्य नहीं बनाता। वह सत्य से ही संतुष्ट हो जाता है ।वस्तुगत ज्ञान में अभिवृद्धि से हमारे भीतर जो परितोष उत्पन्न हो जाता है , वही हमारे लिए अलभ्य है । वस्तुतः विज्ञान प्रजातंत्रीय है और उद्देश्य एवं प्रक्रिया के भीतर से प्रजातंत्र वाद (मानववाद) का समर्थक है। इसके विपरीत साहित्य की प्रवृत्ति और आत्मा सबके लिए नहीं है , कुछ के लिए है । विज्ञान की सुविधाएं सबको प्राप्त हो सकती हैं परंतु साहित्य जगत में प्रवेश करने से पहले लंबी तैयारी की आवश्यकता है । विज्ञान बाह्य जीवन को बदलता है और साहित्य अंतर्जीवन को । यह निश्चित है कि उत्कृष्ट संस्कृति के वाहक के रूप में विज्ञान साहित्य का स्थान ग्रहण नहीं कर सकता । साहित्य के द्वारा एक महान चरित्र , एक महान आत्मा से हमारा जो परिचय होता है , वह नैतिक और आत्मिक धरातल पर विज्ञान की बड़ी से बड़ी खोज के ज्ञान से श्रेष्ठ है महान साहित्य हमारे हृदय को उदात्त भावनाओं से भरते हैं जिससे हमारा चरित्र दृढ़ बनता है ।
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1.प्रश्न :1. विज्ञान और साहित्य के लक्ष्य में क्या अंतर है ?
2.प्रश्न :2. साहित्य जगत में प्रवेश करने के लिए क्या आवश्यक है ?
3.प्रश्न: 3. महान साहित्य का हृदय पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
4.प्रश्न :4.विज्ञान के अनुसार अलभ्य क्या है ?
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१) जिसे सुंदर सिंचाई और खाद मिल जाती है| विज्ञान आनंद को अपना लक्ष्य नहीं बनाता।
२) साहित्य जगत में प्रवेश करने से पहले लंबी तैयारी की आवश्यकता है।
३) साहित्य के द्वारा एक महान चरित्र , एक महान आत्मा से हमारा जो परिचय होता है , वह नैतिक और आत्मिक धरातल पर विज्ञान की बड़ी से बड़ी खोज के ज्ञान से श्रेष्ठ है महान साहित्य हमारे हृदय को उदात्त भावनाओं से भरते हैं जिससे हमारा चरित्र दृढ़ बनता है ।
४) वह सत्य से ही संतुष्ट हो जाता है ।वस्तुगत ज्ञान में अभिवृद्धि से हमारे भीतर जो परितोष उत्पन्न हो जाता है , वही हमारे लिए अलभ्य है
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