Hindi, asked by ahslove88411, 11 months ago

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों का उत्तर लिखिए I
फिजूलखर्ची एक बुराई है लेकिन ज्यादातर मौकों पर हम इसे भोग, विलास से जोड़ लेते हैं I फिजूलखर्ची के पीछे बारीकी से नज़र डालें तो अहंकार नज़र आएगा I अहं को प्रदर्शन से तृप्ति मिलती है I अहं की पूर्ति के लिए कई बार बुराईयों से रिश्ता भी जोड़ना पड़ता है I अहंकारी लोग बाहर से भले ही गम्भीरता का आवरण ओढ़ लें, लेकिन भीतर से वे उथलेपन और छिछोरेपन से भरे रहते हैं I जब कभी समुद्र तट पर जाने का मौक़ा मिले तो देखिएगा लहरें आती हैं, जाती हैं I यदि चट्टानों से टकराती हैं तो पत्थर वहीँ रहते हैं, लहरें उन्हें भिगोकर लौट जाती हैं I हमारे भीतर हमारे आवेगों की लहरें हमें ऐसे ही टक्कर देती हैं I इन आवेगों, आवेशों के प्रति अडिग रहने का अभ्यास करना होगा, क्यूंकि अहंकार ताड़ी लम्बे समय टिकने की तैयारी में आ जाए तो वह नए - नए तरीके ढूंढेगा I स्वंय को महतवा मिले अथवा स्वेच्छाचारिता के प्रति आग्रह, ये सब फिर सामान्य जीवनशैली बन जाती है I ईसा मसीह ने कहां है - मैं उन्हें धन्य कहूँगा, जो अंतिम हैं I आज के भौतिक युग में यह टिप्पणी कौन स्वीकारेगा, जब नम्बर वन होने की होड़ लगी है I ईसा मसीह ने इसी में आगे जोड़ा है कि ईश्वर के राज्य में भी प्रथम होंगे जो अंतिम हैं और जो प्रथम होने की दौड़ में रहेंगे, वे अभागे रहेंगे I यहाँ अंतिम होने का संबंध लक्ष्य और सफलता से नहीं है I जीसस ने विनम्रता, निरहंकारिता को शब्द दिया है 'अंतिम' I आपके प्रयास व परिणाम प्रथम हों, अग्रणी रहें, पर आप भीतर से अंतिम हों यानि विनम्र, निरहंकारी रहें I वार्ना अहं अकारण ही जीवन के आनंद को खा जाता है I
(क) अहंकारी मनुष्य में किस प्रकार के अवगुण होते हैं ?
(ख) फिजूलखर्ची को आप किस रूप में देखते हैं ?
(ग) लेखक ने अपनी बात को समझाने के लिए किसका उदाहरण दिया ? क्या समझाया ?
(घ) 'अंतिम' शब्द लेखक के अनुसार वर्णित कीजिए I
(ङ) जीवन का आनंद समाप्त होने का कारन बताइए I
(च) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए I

Answers

Answered by coolthakursaini36
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क. अहंकारी मनुष्य में उथलेपन और छिछोरेपन के अवगुण होते हैं|

ख. फिजूलखर्ची एक बुराई है लेकिन ज्यादातर मौकों पर हम इसे भोग विलास से जोड़ लेते हैं |

ग. लेखक ने अपनी बात को समझाने के लिए समुद्री लहरों का उदाहरण दिया और समझाया कि लहरे जीवन में आवेगों की तरह हैं जो आती हैं और हमें भिगो जाती हैं लेकिन चट्टाने अपनी जगह से हिलती नहीं हैं उसी तरह हमें भी आवेगों में स्थिर रहना चाहिए|

घ. लेखक के अनुसार अंतिम शब्द का अर्थ है विनम्र और निरहंकारी|

ङ. जीवन का आनंद समाप्त होने का मुख्य कारण अहंकार है|

च. उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक है ‘अहंकार रहित जीवन’ |

Answered by bhavyammehndiratta
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तू लडच@तेते कहीं के बाप से लड़ने आया है औकाद है तेरी मां का भोक्शा

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