Hindi, asked by Shreyaarora491, 9 months ago

निम्नलिखित गद्यांश में नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए
सुन्दर प्रतिमा, मनभावनी चाल और स्वच्छन्द प्रकृति ये ही दो-चार बातें देखकर मित्रता की जाती है; पर जीवन-संग्राम में साथ देने वाले मित्रों में इनमें से कुछ अधिक बातें चाहिए । मित्र केवल उसे नहीं कहते, जिसके गुणों की तो हम प्रशंसा करें, पर जिससे हम स्नेह न कर सकें । जिससे अपने छोटे-छोटे काम तो हम निकालते जाएँ, पर भीतर-ही-भीतर घृणा करते रहें । मित्र सच्चे पथ-प्रदर्शक के समान होना चाहिए, जिस पर हम पूरा विश्वास कर सकें, भाई के समान होना चाहिए, जिसे हम अपना प्रीति-पात्र बना सकें । हमारे और हमारे मित्र के बीच सच्ची सहानुभूति होनी चाहिए-ऐसी सहानुभूति, जिससे एक के हानि-लाभ को दूसरा अपना हानि-लाभ समझे ।
(अ) प्रस्तुत गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए ।
(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
(स) 1. किसे मित्र नहीं कहा जा सकता ?
2. सामान्यतया क्या देखकर मित्रता की जाती है ?
3. हमारे और हमारे मित्र के बीच कैसी सहानुभूति होनी चाहिए ?
4. सच्चा मित्र कैसा होना चाहिए ?

Answers

Answered by BrainBrawler658
3

Answer:

mao ki hai na esliye to you and your mom and sister are you going to the gym now and then you have to follow back to you within a week or so I don't know this is

Answered by sindhu789
7

उपर्युक्त गद्यांश में दिये गये प्रश्नों के उत्तर निम्नलिखित है—

Explanation:

(अ)  सन्दर्भ : प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी के गद्य-खण्ड में संकलित 'मित्रता ' नामक  निबन्ध से लिया गया है। इसके लेखक का नाम श्री आचार्य रामचन्द्र शुक्ल है।  

(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या: लेखक का कहना है कि जो व्यक्ति मन में हमसे प्रेम न रखता हो भले ही हमारे गुणों की प्रशंसा करता हो वह हमारा मित्र नहीं हो सकता। ऐसे व्यक्ति को भी मित्र नहीं मानना चाहिए जो समय समय पर अपने काम निकाल कर स्वार्थ तो सिद्ध क्र देता है पर अंदर ही अंदर अपने हृदय में हमसे नफरत करता हो। सच्चे मित्र के हृदय में प्रेम होना चाहिए। शुक्ल जी आगे कहते हैं कि सच्चा मित्र विश्वास के योग्य, सही मार्ग बताने वाला और भाई के समान निष्कपट प्रेम करने वाला होता है। हमारी अपने मित्र से आपसी सहानुभूति होनी चाहिए जिससे हम एक दूसरे के हानि तथा लाभ को अपना सकें। अतः इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि मित्रता का आधार प्रेम और स्नेह होना चाहिए।

(स)

1.  जो व्यक्ति हमारे सामने हमारे गुणों का प्रशंसक होता है लेकिन अंदर से हमसे स्नेह न रखता हो, ऐसे व्यक्ति को मित्र नहीं कहा जा सकता।  

2. सामान्यतया हम किसी से उसका सुंदर चेहरा, रंग रूप, मन को लुभाने वाली चाल आदि को देख क्र मित्रता तो कर लेते हैं परन्तु ऐसा मित्र जीवन में किसी काम नहीं आता।  

3. मित्रों के बीच परस्पर सहानुभूति होनी चाहिए जिससे प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरे की लाभ हानि को अपना सके।  

4. सच्चा मित्र सही मार्ग को दिखाने वाला, विश्वसनीय, स्नेह के योग्य और भाई के समान होना चाहिए।

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