निम्नलिखित गद्यांश में नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए—
हिन्दी में प्रगतिशील साहित्य का निर्माण हो रहा है । उसके निर्माता यह समझ रहे हैं कि उनके साहित्य में भविष्य का गौरव निहित है । पर कुछ ही समय के बाद उनका यह साहित्य भी अतीत का स्मारक हो जाएगा और आज जो तरुण हैं, वही वृद्ध होकर अतीत के गौरव का स्वप्न देखेंगे । उनके स्थान में तरुणों का फिर दूसरा दल आ जाएगा, जो भविष्य का स्वप्न देखेगा । दोनों के ही स्वप्न सुखद होते हैं; क्योंकि दूर के ढोल सुहावने होते हैं ।
(अ) प्रस्तुत गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए ।
(ब) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए ।
(स) 1. "दूर के ढोल सुहावने क्यों होते हैं ?" स्पष्ट कीजिए ।
2. प्रस्तुत अवतरण में लेखक क्या कहना चाहता है ?
3. प्रगतिशील साहित्य को अतीत का स्मारक क्यों कहा गया है ?
4. लेखक ने साहित्य के निर्माण में किन विशेषताओं का उल्लेख किया है ?
5. प्रगतिशील साहित्य-निर्माता क्या समझकर साहित्य-निर्माता कर रहे हैं ?
Answers
(अ)
लेखक का नाम = श्रीमान बख्शी जी
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(ब)
प्रथम अंश:- लेखक साहित्य सुधार की प्रक्रिया को समझाते हुए कहते हैं कि युवा साहित्यकार प्रगतिवादी साहित्य की रचना यह सोचकर कर रहे हैं कि उसमें भविष्य में सुधार की आवश्यकता नहीं होगी क्योंकि उनके साहित्य में भविष्य के गौरव का गुणगान है |
परंतु ऐसा नहीं होने वाला, आज के ये युवा भी एक दिन वृद्ध होकर अतीत का गुणगान करेंगे |
द्वितीय अंश:- लेखक साहित्य सुधार की प्रक्रिया को समझाते हुए कहते हैं कि आज के युवा वृद्ध होकर अतीत का गुणगान करेंगे और उस समय के युवा वर्तमान से असन्तुष्ट होकर नया साहित्य रचेंगे | यह प्रक्रिया सनातन है |
यह मानव स्वभाव है की दूर की वस्तु हमें प्रिय लगती है | युवाओं से भविष्य और वृद्धों से अतीत दूर होता है इसलिए वे सुखद लगते हैं |
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(स)
1:-यह मानव स्वभाव है की दूर की वस्तु हमें प्रिय लगती है | युवाओं से भविष्य और वृद्धों से अतीत दूर होता है इसलिए वे सुखद लगते हैं | वे इसे पाने का प्रयत्न करते हैं |
2:- लेखक का कहना है साहित्य में सुधार निरंतर चलता रहता है | जो कुछ भी आज प्रासंगिक है, कुछ समय बाद वह अप्रासंगिक हो जाएगा |
3:- प्रगतिशील साहित्य को अतीत का स्मारक कहा है क्योंकि जो कुछ भी आज प्रासंगिक है वह कुछ समय बाद बीती हुई बात हो जाता है, वह अतीत बन जाता है |
4:- (अ) साहित्य प्रगतिशील होता है, (ब) साहित्य में भविष्य का गौरव निहित होता है |
5:- प्रगतिशील साहित्य-निर्माता यह समझकर साहित्य-निर्माण कर रहे हैं की उनके साहित्य में भविष्य का गौरव है, और भविष्य में उसमें सुधार की आवश्यकता नहीं होगी |
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More Question:
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20 शब्दों में लिखिए-
क) मनुष्य किन कारणों से भ्रमित होकर चारों और भटकता है? ‘छाया मत छूना’ कविता के आधार पर लिखिए।
ख) ‘आग रोटियां सेंकने के लिए है जलने के लिए नहीं’ कहकर कवि ने समाज पर क्या व्यंग्य किया है?
ग) संगताकर किसे कहते हैं ? उसकी आवाज़ में एक हिचक-सी क्यों प्रतीत होती है?
घ) ‘अट नहीं रही है’ कविता के आधार पर फागुन की दो विशेषताएँ लिखिए।
https://brainly.in/question/15028328
‘कर चले हम फिदा...’ कविता का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
https://brainly.in/question/15027022
जो बीत गई सो बात गई। जीवन में एक सितारा था, माना, वह बेहद प्यारा था, वह डूब गया तो डूब गया। अंबर के आनन को देखो, कितने इसके तारे टुटे, कितने इसके प्यारे छूटे, जो छूट गए फिर कहाँ मिले पर बोलो टूटे तारों पर, कब अंबर शोक मनाता है? जो बीत गई सो बात गई। जीवन में वह था एक कुसुम, थे उस पर नित्य निछावर तुम, वह सूख गया तो सूख गया मधुबन की छाती को देखो, सूखी कितनी इसकी कलियाँ मुरझाई कितनी वल्लरियाँ, जो मुरझाई फिर कहाँ खिलीं, पर बोलो सूखे फूलों पर, कब मधुबन शोर मचाता है? जो बीत गई सो बात गई।
क) ‘जो बीत गई सो बात गई’ से क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए।
ख) आकाश की ओर कब देखना चाहिए और क्यों?
ग) ‘सूखे फूल’ और ‘मधुबन’ के प्रतीकार्थ स्पष्ट कीजिए।
घ) टूटे तारों का शोक कौन नहीं मनाता है?
ङ) आपके विचार से ‘जीवन में एक सितारा’ किसे माना होगा?
https://brainly.in/question/15035736
Answer:
प्रथम अंश:- लेखक साहित्य सुधार की प्रक्रिया को समझाते हुए कहते हैं कि युवा साहित्यकार प्रगतिवादी साहित्य की रचना यह सोचकर कर रहे हैं कि उसमें भविष्य में सुधार की आवश्यकता नहीं होगी क्योंकि उनके साहित्य में भविष्य के गौरव का गुणगान है |
परंतु ऐसा नहीं होने वाला, आज के ये युवा भी एक दिन वृद्ध होकर अतीत का गुणगान करेंगे |
द्वितीय अंश:- लेखक साहित्य सुधार की प्रक्रिया को समझाते हुए कहते हैं कि आज के युवा वृद्ध होकर अतीत का गुणगान करेंगे और उस समय के युवा वर्तमान से असन्तुष्ट होकर नया साहित्य रचेंगे | यह प्रक्रिया सनातन है |
यह मानव स्वभाव है की दूर की वस्तु हमें प्रिय लगती है | युवाओं से भविष्य और वृद्धों से अतीत दूर होता है इसलिए वे सुखद लगते हैं |
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(स)
1:-यह मानव स्वभाव है की दूर की वस्तु हमें प्रिय लगती है | युवाओं से भविष्य और वृद्धों से अतीत दूर होता है इसलिए वे सुखद लगते हैं | वे इसे पाने का प्रयत्न करते हैं |
2:- लेखक का कहना है साहित्य में सुधार निरंतर चलता रहता है | जो कुछ भी आज प्रासंगिक है, कुछ समय बाद वह अप्रासंगिक हो जाएगा |
3:- प्रगतिशील साहित्य को अतीत का स्मारक कहा है क्योंकि जो कुछ भी आज प्रासंगिक है वह कुछ समय बाद बीती हुई बात हो जाता है, वह अतीत बन जाता है |
4:- (अ) साहित्य प्रगतिशील होता है, (ब) साहित्य में भविष्य का गौरव निहित होता है |
5:- प्रगतिशील साहित्य-निर्माता यह समझकर साहित्य-निर्माण कर रहे हैं की उनके साहित्य में भविष्य का गौरव है, और भविष्य में उसमें सुधार की आवश्यकता नहीं होगी |
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More Question:
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 20 शब्दों में लिखिए-
क) मनुष्य किन कारणों से भ्रमित होकर चारों और भटकता है? ‘छाया मत छूना’ कविता के आधार पर लिखिए।
ख) ‘आग रोटियां सेंकने के लिए है जलने के लिए नहीं’ कहकर कवि ने समाज पर क्या व्यंग्य किया है?
ग) संगताकर किसे कहते हैं ? उसकी आवाज़ में एक हिचक-सी क्यों प्रतीत होती है?
घ) ‘अट नहीं रही है’ कविता के आधार पर फागुन की दो विशेषताएँ लिखिए।
brainly.in/question/15028328
‘कर चले हम फिदा...’ कविता का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
brainly.in/question/15027022
जो बीत गई सो बात गई। जीवन में एक सितारा था, माना, वह बेहद प्यारा था, वह डूब गया तो डूब गया। अंबर के आनन को देखो, कितने इसके तारे टुटे, कितने इसके प्यारे छूटे, जो छूट गए फिर कहाँ मिले पर बोलो टूटे तारों पर, कब अंबर शोक मनाता है? जो बीत गई सो बात गई। जीवन में वह था एक कुसुम, थे उस पर नित्य निछावर तुम, वह सूख गया तो सूख गया मधुबन की छाती को देखो, सूखी कितनी इसकी कलियाँ मुरझाई कितनी वल्लरियाँ, जो मुरझाई फिर कहाँ खिलीं, पर बोलो सूखे फूलों पर, कब मधुबन शोर मचाता है? जो बीत गई सो बात गई।
क) ‘जो बीत गई सो बात गई’ से क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए।
ख) आकाश की ओर कब देखना चाहिए और क्यों?
ग) ‘सूखे फूल’ और ‘मधुबन’ के प्रतीकार्थ स्पष्ट कीजिए।
घ) टूटे तारों का शोक कौन नहीं मनाता है?
ङ) आपके विचार से ‘जीवन में एक सितारा’ किसे माना होगा