निम्नलिखित गद्यांश में नीचे दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए—
जैसे संगसाजों ने उन गुफाओं पर रौनक बरसायी है, चितेरे जैसे रंग और रेखा में दर्द और दया की कहानी लिखते गये हैं, कलावन्त छेनी से मूरतें उभारते-कोरते गये हैं, वैसे ही अजन्ता पर कुदरत का नूर बरस पड़ा है, प्रकृति भी वहाँ थिरक उठी है । बम्बई के सूबे में बम्बई और हैदराबाद के बीच, विन्ध्याचल के पूरब-पश्चिम दौड़ती वर्वतमालाओं से निचौंधे पहाड़ों का एक सिलसिला उत्तर से दक्खिन चला गया है, जिसे सह्याद्रि कहते हैं ।
(अ) प्रस्तुत गद्यांश का सन्दर्भ लिखिए ।
(ब) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए ।
(स) सह्याद्रि की भौगोलिक स्थिति को स्पष्ट कीजिए ।
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उपर्युक्त गद्यांश में दिए गए प्रश्नों उत्तर निम्नलिखित हैं-
Explanation:
(अ) सन्दर्भ: प्रस्तुत गद्यांश हमारी पठित पाठ्य पुस्तक हिन्दी के गद्य खण्ड में संकलित 'अजन्ता ' नामक निबन्ध से लिया गया है। इसके लेखक का नाम श्री भगवतशरण उपाध्याय है।
(ब) रेखांकित अंशों की व्याख्या: लेखक कहता है कि अजन्ता की गुफाओं को देख कर ऐसा लगता है कि मूर्ति बनाने वाले कलाकारों ने पत्थरों को काट कर इन गुफाओं में चारों ओर सौंदर्य की वर्षा कर दी है। चित्रकारों ने रंगों और रेखाओं के माध्यम से पीड़ा और करुणा की भावनाओं को व्यक्त करने वाले सजीव चित्र अंकित कर दिए हैं। अपनी छेनी की चोटों से पत्थरों को काट कर और उभार कर शिल्पकारों ने सजीव मूर्तियां बना दी हैं।अजन्ता की गुफाओं में विशेष कलात्मक सौन्दर्य को देख कर ऐसा लगता है कि प्रकृति ने नूर बरसाया है जिससे आनन्दित हो कर प्रकृति भी नृत्य करने लगी है।
(स) बम्बई प्रदेश में बम्बई और हैदराबाद के मध्य में विन्ध्यांचल की पूर्व - पश्चिम की ओर जाती हुई पर्वतश्रेणियों के नीचे से पर्वतों की जो श्रंखला उत्तर से दक्षिण की ओर गयी है उस श्रंखला का नाम सह्याद्रि है। जिसको लेखक ने पहाड़ी की ज़ंजीर कहा है। इसी पर्वत - श्रंखला पर अजन्ता के गुफा - मन्दिर स्थित हैं।