निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए −
एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों को और कभी-कभी तो मृत्यु भी आदमी को सहज भाव से स्वीकार करनी चाहिए।
nimnalikhit kaa aashay spaṣṭ keejie −
evaresṭ jaise mahaan abhiyaan men khataron ko aur kabhee-kabhee to mrityu bhee aadamee ko sahaj bhaav se sveekaar karanee chaahie.
बचेंद्री पाल
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Kabhi kabhi Hamein address chadte Hue Khatron ka aur Mrityu ka bhi Shyam na karna chahiye
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एवरेस्ट जैसे महान अभियान में जाना बहुत रोमांच लगता है | लेकिन एवरेस्ट पर चढ़ाई के दौरान कई बार जमीन पर दरार पड़ती है और वह दरार चौड़े विदर में बदल जाती है। यह बहुत ही खतरनाक और जानलेवा साबित होती है। प्रतिदिन पर्वतारोहियों के दल के कितने ही लोग हिमपात के शिकार होकर या तो जख्मी हो जाते हैं या अपनी जान से हाथ खो बैठते हैं। यह सब काफी डरावना होता है। आदमी को सहज रूप से स्वीकार और तैयार रहना चाहिए मृत्यु कभी भी आ सकती है |
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