निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए −
सीधे धरातल पर दरार पड़ने का विचार और इस दरार का गहरे-चौड़े हिम-विदर में बदल जाने का मात्र खयाल ही बहुत डरावना था। इससे भी ज़्यादा भयानक इस बात की जानकारी थी कि हमारे संपूर्ण प्रयास के दौरान हिमपात लगभग एक दर्जन आरोहियों और कुलियों को प्रतिदिन छूता रहेगा।
nimnalikhit kaa aashay spaṣṭ keejie −
seedhe dharaatal par daraar padne kaa vichaar aur is daraar kaa gahare-chaude him-vidar men badal jaane kaa maatr khayaal hee bahut ḍaaraavanaa thaa. Isase bhee zayaadaa bhayaanak is baat kee jaanakaaree thee ki hamaare snpoorṇa prayaas ke dauraan himapaat lagabhag ek darjan aarohiyon aur kuliyon ko pratidin chhootaa rahegaa.
बचेंद्री पाल
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इन पंक्तियों में हिमपात से उत्पन्न होने वाले खतरे का वर्णन किया है | हिमपात से कई बार धरातल में दरार पद जाती है | यह दरार बर्फ़ की गहरी- चौड़ी दरार में बदल जाती है| गुफाओं में बदल जाती थीं, जिस में मनुष्य की मृत्यु हो सकती थी |इस दीवार को पार करके चढ़ाई करने के बारे में सोच कर ही डर लगता है | यह बहुत ही डरावना ख्याल था | इससे भी अधिक भय इस बात का था की अभियान के समय यह हिमपात लगभग रोज़ आता रहेगा तो दर्जन आरोहियों और कुलियों को प्रतिदिन छूता रहेगा।
आशय यह है कि ग्लेशियरों के बहने से बरफ़ में हलचल होने से बरफ़ की बड़ी-बड़ी चट्टानें अचानक गिर जाती हैं। इससे धरातल पर दरार पड़ जाती है। यही दरारें हिम-विदर में बदल जाती हैं जो पर्वतारोहियों की मृत्यु का कारण बन जाती है। इसका ख्याल ही मन में भय पैदा कर देता है। दुर्भाग्य से यह भी जानकारी मिल गई थी कि इस अभियान दल को अपने अभियान के दौरान ऐसे हिमपात का सामना करना ही पड़ेगा।