Chemistry, asked by drrdsharma5790, 11 months ago

निम्नलिखित के कारण बताइए-
(i) ऐनिलीन का pKb मेथिलऐमीन की तुलना में अधिक होता है।
(ii) ऐथिलऐमीन जल में विलेय है जबकि ऐनिलीन नहीं।
(iii) मैथिलऐमीन फेरिक क्लोराइड के साथ जल में अभिक्रिया करने पर जलयोजित फेरिक आक्साइड का अवक्षेप देता है।
(iv) यद्यपि ऐमीनों समूह इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं में आर्थों एवं पैरा निर्देशक होता है फिर भी ऐनिलीन नाइट्रोकरण द्वारा यथेष्ट मात्रा में मेटानाइट्रोऐनीलीन देती है।
(v) ऐनिलीन फ़िडेल क्राफ्ट्स अभिक्रिया प्रदर्शित नहीं करती।
(vi) ऐरोमैटिक ऐमीनों के डाइऐजोनियम लवण ऐलीफैटिक ऐमीनों से प्राप्त लवण से अधिक स्थायी होते हैं। (vii) प्राथमिक ऐमीन के संश्लेषण में गैब्रिएल थैलिमाइड संश्लेषण को प्राथमिकता दी जाती है।

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निम्लिखित प्रश्नों के कारण नीचे दिए गए है।

(i) एनिलिन का pkब मेथिल एमिन की तुलना में अधिक होता है क्योंकि

•उन पदार्थो की क्षारियता कम होती है उनका pkb अधिक होता है।

• मैथिल अमाइन की तुलना में एनिलिन का pkb अधिक होता है क्योंकि एनिलिन की पांच अनुनादी संरचनाएं है।इस कारण उसमें उपस्थित नाइट्रोजन परमाणु के असहभाजित इलेक्ट्रॉन युग्म का बेंजीन पर वलय पर अस्थायीकरण होता है।

•इस कारण इलेक्ट्रॉन घनत्व घट जाता है।तथा एनिलिन इलेक्ट्रॉन नहीं प्रदान कर पाता क्योंकि एनिलिन की क्षारीयता घट जाती है।

•दूसरी तरफ मैथिल एमीन में मैथिल समूह उपस्थित होने के कारण +1 प्रभाव बढ़ जाता है करें नाइट्रोजन परमाणु के ऊपर इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ जाता हैं वह सहजता से इलेक्ट्रॉन प्रदान कर पाता है।

•इसका अर्थ हुआ की मैथिल अमीन की क्षारीयता बढ़ जाती है तथा इसी कारण एनिलिन का pkb अधिक होता है।

(ii) एथिल एमिन जल में विलय है परन्तु एनिलिन नहीं

क्योंकि

•एथिल एमिन जल के साथ हाइड्रोजन आबंध बनता है परन्तु

एनिलिन में हाइड्रोफोबिक बेजिंन वलय उपस्थित होता है

•जिस कारण वह जल के साथ आबंध नहीं बना पाता।

(iii) मेथिल एमिन फेरिक क्लोराइड के साथ जल में अभिक्रिया करने पर जलयोजित फेरिक ऑक्साइड अवक्षेप देता है। कारण

मेथिल समूह में +1 प्रभाव है। इसी कारण मेथिल एमिन जल के H⁺ प्रोटीन को ग्रहण कर OH⁻ आयन का विचरण करता है।

•Fecl₃ अयामिक होने के कारण जल में Fe³⁺ तथा cl ⁻ आयन अलग हो जाते है।

•Fe³⁺ तथा OH⁻ आयन संयोग कर जलयोजित फेरिक ऑक्साइड का भूरा अवक्षेप कर देती है।

(iv) यदयपि एमिनो समूह इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं में आर्थो एवं पैरा निर्देशक होता है फिर भी

एनिलिन नाइट्रोकरण द्वारा यथेष्ठ मात्रा में मेटा देती है कारण

• H₂SO₄ के साथ अम्लीय माध्यम में नाइट्रीकरण होता है।

•जिस कारण एनिलिंन आयन में प्रोटोनीकृत हो जाता है। ,जो मेटा निर्देशक है।

• इसी कारण एनिलिन के नाईट्रोकरण से हमें उपुक्ट मात्रा में मेटानाइट्रोएनिलीन प्राप्त होती है।

•C₆H₅NH₂ + H⁺ → C₆H₅NH₃→ m- C₆H₄NH₂NO₂

(V) एनिलिन फ्रेडेल क्राफ्ट अभिक्रिया प्रदर्शित नहीं करती क्योंकि

• फ्रीडेल क्राफ्ट एक ऐसी अभिक्रिया है जिसमें इलेक्ट्रोफिलिक प्रतिस्थापन होता है। तथा जो एल्यूमिनियम ट्रॉयक्लोराइड उत्प्रेरक के प्रयोग द्वारा होती है।

•AlCl₃ एक लुईस अम्ल है तथा एनिलिन क्षार है इन दोनों की अभिक्रिया से लवण बनता है।

•C₆H₅NH₂+ AlCl₃→ C₆H₅NH₂⁺ AlCl₃⁻

•नाइट्रोजन परमाणु पर इलेक्ट्रॉन कम होने के कारण यह बेंजीन विलय को को पुनः अभिक्रिया के लिए सक्रिय नहीं रहने देती तथा एनिलिन फ्रेड़ेल क्राफ्ट अभिक्रिया प्रदर्शित नहीं कर पाता।

(Vi) एरोमेटिक एमिनो के डायजोनियम लवण एलीफेटिक एमिनों से प्राप्त लवणों से अधिक स्थाई होते है क्योंकि

•कारण यह है कि एरोमेटिक एमिनों के डायजोनियम लवण कम ताप पर विघटित नहीं हो पाते।

• दूसरी ओर एैलीफैटिक एमिनों के डायजोनियम लवण कम तापमान पर विघटित हो पाते है तथा नाइट्रोजन गैस का विघटन करते है।

•[ R-CH₂-N⁺₂ Cl⁻ ] + H₂O → R-CH₂OH + N₂(g) + HCl

•[ C₆H₅- N₂⁺ Cl⁻] +H₂O→ कोई अभिक्रिया नही।

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