निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए (i) विसरण (ii) परासरण (iii) जीव द्रव्य कुंजन (iv) अंत शोषण (v) उर्ध्वपातन
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1. जब एक से अधिक द्रव्य प्राकृतिक रूप से परस्पर मेल से क्रियाशील होकर नए समांग मिश्रण का सृजन करते हैं तो इस क्रिया को विसरण कहा जाता है। द्रव्यों में पाये जाने वाले कणों में परस्पर क्रिया होने से मूल द्रव्य में परिवर्तन होकर नया रूप प्राप्त होता है। इस क्रिया को ही विसरण कहते हैं
2 . परासरण (Osmosis) दो भिन्न सान्द्रता वाले घोलों के बीच होनेवाली एक विशेष प्रकार की विसरण क्रिया है जो एक अर्धपारगम्य झिल्ली के द्वारा होती है। इसमें विलायक (घोलक) के अणु कम सान्द्रता वाले घोल से अधिक सान्द्रता वाले घोल की ओर गति करते हैं।
3.जब पादप कोशिका में परासरण से पानी की हानि होती है तो कोशिका झिल्ली सहित आंतरिक पदार्थ संकुचित हो जाते हैं जिसे जीवद्रव्य कुंचन कहते हैं.
4.अंतः शोषण एक विलयन के गठन के बिना पदार्थों से पानी की सोखने की प्रक्रिया है। पानी में डूबे जब बीज की सूजन अंतः शोषण का एक उदाहरण है। ... पानी की अंत शोषण दबाव में जो परिणाम अंतः शोषक, की मात्रा बढ़ जाती है। इस दबाव जबरदस्त परिमाण के हो सकते हैं।
5.उर्ध्वपातन एक भौतिक-रासायनिक प्रक्रिया है जिसमें कोई पदार्थ अपनी ठोस अवस्था से सीधे गैस मे परिवर्तित हो जाता है । इस पूरी प्रक्रिया के दौरान पदार्थ की अवस्था किसी मध्यवर्ती द्रव अवस्था मे परिवर्तित नहीं होती है। कपूर का ठोस अवस्था से सीधे वाष्प के रूप में उड़ जाना उर्ध्वपातन का एक उदाहरण है।