निम्नलिखित किसी एक परियोजना पर लिखे:-
नाटक : किसी कहानी, प्रसंग, कविता आदि का नाट्य रूपांतर और उसकी हस्तलिखित प्रस्तुति
अथवा
रेडियो : समाचार एवं रेडियो - नाट्य रूपांतर (किसी नाटक / एकाकी का रेडियो रूपांतरण कराया जा सकता है।)
Answers
लाइट, कैमरा, एक्शन के साथ बनने वाली अत्याधुनिक फिल्मों के इस दौर में भी रेडियो से प्रसारित होने वाले धारावाहिकों को सुनने वालों की कमी नहीं है। स्थानीय कलाकार आकाशवाणी अंबिकापुर में जिस लगन व निष्ठा से बगैर लाइट, एक्शन, कैमरा के तैयार करते हैं और संवाद पढ़ते हैं, उसे देख लगता है सारे कलाकार मंझे हुए हैं। लंबे समय बाद आकाशवाणी अंबिकापुर द्वारा मुंशी प्रेमचंद की कालजयी उपन्यास रंगभूमि पर केंद्रित रेडियो नाट्य धारावाहिक तैयार किया गया है। सुप्रसिद्घ निर्देशक तपन बनर्जी के निर्देशन और मूल उपन्यास का रेडियो नाट्य रूपांतरण अंजनी पाण्डेय ने जिस तरह से किया है, एक बार फिर रेडियो धारावाहिकों के दिन फिरने की उम्मीद है।
बालीवुड व हालीवुड में जहां लाइट, कैमरा, एक्शन की आवाज किसी भी फिल्म के निर्माण में गूंजती है, तभी कलाकार अपने संवाद शुरू करते हैं, किंतु रेडियो के लिए तैयार होने वाले नाट्य धारावाहिकों में मंझे हुए कलाकारों के लिए न लाइट, कैमरा व न एक्शन की जरूरत होती है। वे सीधे संवाद पर उतर आते हैं। सीधे संवाद पढ़ना आसान नहीं होता, किंतु स्थानीय ड्रामा आर्टिस्ट इतने मंझे हुए हैं कि देखकर लगता ही नहीं कि ये सरगुजिहा माटी के कलाकार हैं। लंबे समय बाद आकाशवाणी अंबिकापुर के द्वारा 1925 में प्रख्यात कहानीकार मुंशी प्रेमचंद के द्वारा लिखित रंगभूमि कालजयी उपन्यास पर आधारित नाट्य धारावाहिक का निर्माण किया गया है। 7 जुलाई की रात्रि आठ बजे से इसका प्रसारण शुरू होने जा रहा है। 13 कड़ियों वाले इस धारावाहिक में छालीवुड के मंझे हुए खलनायक की भूमिका निभाने वाले विनय अंबष्ट, अपूर्व सिंह, प्रीतपाल सिंह अरोरा, कृष्ण कुमार त्रिपाठी, मृदुल गुप्ता, कमलेश सिंह, अंजनी कुमार पाण्डेय, चरणजीत कौर सिद्घू, लता मिश्रा, श्रद्घा पाण्डेय ने अलग-अलग पात्रों के संवाद को बखूबी पढ़ा है। मूल उपन्यास कर रेडियो नाट्य रूपांतरण अंजनी कुमार पाण्डेय ने किया है, वह इस 13 कड़ियों के धारावाहिक के प्रस्तुतकर्ता तपन बनर्जी हैं। आकाशवाणी अंबिकापुर के कार्यक्रम अधिशासी महेंद्र कुमार ने बताया कि मुंशी प्रेमचंद की कृति रंगभूमि के ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में देखें तो महात्मा गांधी जो काम राजनीति के क्षेत्र में कर रहे थे, उसे प्रेमचंद साहित्य में रच रहे थे। पूरी निष्ठा व वैचारिक प्रतिबद्घता के साथ इस उपन्यास का नायक एक अंधा भिखारी है। वह न सिर्फ व्यवस्था से लड़ने का साहस रखता है, बल्कि भटके हुए लोगों को राह दिखाता है। अपने आदर्शों से डिगे बिना वह जीवन के अंतिम समय में हजारों लोगों का नेतृत्व करता है। कहा जाता है, गोदान यदि प्रेमचंद्र की सर्वश्रेष्ठ कृति है तो निःसंदेह रंगभूमि उनके विचारों की सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्ति है।
Theatrical drama is given below.
Explanation:
Dragon Ball second last episode in dramatic scene.
Tournament of power is coming to its final phase and only jiren and goku are left fighting on the stage. Stage has already broken due to Vegeta's spirit bomb. Now, the time has come to take the tournament to an end.
Goku has reached the stage of mastered Ultra Instinct where he has the ability of perfect defence and attack same as jiren. Fight goes on and both have become injured. At last Goku defeat jiren with his final Kamehameha beam. Goku tried to eliminate jiren, suddenly, goku fainted as he increased great amount of energy in very short period of time.
Jiren try to take advantage but freeza protect the goku from getting eliminated.