निम्नलिखित काव्यांश के आधाऱ पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- यश है या वैभव है, मान है न सरमाया जितना ही दौड़ा तू उतना ही भरमाया। प्रभुता का शरण-बिंब केवल मृगतृष्णा है, हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्ण है। जो है यथार्थ कठिन उसका तू कर पूजन छाया मत छूना मन, होगा दुख दूना। क) 'मृगतृष्णा' से क्या अभिप्राय है, यहाँ मृगतृष्णा किसे कहा गया है? ख) 'हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है' इस पंक्ति से कवि किस तथ्य से अवगत करवाना चाहता है? ग) 'छाया' से कवि का क्या तात्पर्य है?
Answers
निम्नलिखित काव्यांश के आधाऱ पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर इस प्रकार है:
क) 'मृगतृष्णा' से क्या अभिप्राय है, यहाँ मृगतृष्णा किसे कहा गया है?
उतर: मृगतृष्णा का अर्थ होता है 'धोखा' अर्थात ऐसी तृष्णा अथवा इच्छा जिसका कभी अंत नहीं होता है उस इच्छा को मृगतृष्णा कहते हैं| किसी व्यक्ति के पास चाहे अपार धन, सुख सुविधाएँ हों लेकिन वह फिर भी संतुष्ट नहीं होता और उसकी इच्छाएँ कभी खत्म नहीं होती| वह उस वस्तुओं को संग्रह करने की चाह में लगातार भागता रहता है जो वास्तव में हैं ही नहीं इसीको मृगतृष्णा कहा गया है|
ख) 'हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है' इस पंक्ति से कवि किस तथ्य से अवगत करवाना चाहता है?
उतर :'हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है' इस पंक्ति से कवि का अर्थ है कि जैसे हर चांदनी के पीछे अमावस्या की अंधेरी रात छिपी रहती है उसी प्रकार हर सुख के बाद दुख का भाव भी निश्चित रूप से छिपा रहता है। अर्थात जीवन एक चक्र की तरह है जिसमें सुख-दुःख आते रहते हैं और जीवन चलता रहता है|
ग) 'छाया' से कवि का क्या तात्पर्य है?
उतर : 'छाया' शब्द स्मृतियों और यादों प्रयुक्त हुआ है। इससे मनुष्य के जीवन के उन सुखद क्षणों के बारे में पता चलता है जो उसके जीवन में बीत चुके हैं| जीवन में सुख और दोनों का ही बराबर का योगदान रहता है और व्यक्ति निरंतर इन सुख एवं दुखों से गुजरता रहता है| दुखी यादों को कभी भी याद नहीं करना चाहिए उन्हें भुलाकर वर्तमान में जीना चाहिए|