निम्नलिखित काव्यांश का भाव सौंदर्य एव शिल्प सौंदर्य स्पष्ट कीजिए तौलौ चलित सहेली याहि कौऊ कहें नीके कै निचौरे ताहि करत मनै नहि
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भानु जी सादर नमस्कार स्नेह और सराहना के लिए तैयार नहीं थे कि वह अपने को
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