"निम्नलिखित काव्यांश को पढकर पुछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
जिस जिससे पथ पर स्नेह मिला उस-उस राही को धन्यवाद| जीवन अस्थिर, अनजाने ही हो जाता पथ पर मेल कहीं, सीमित पग पग लंबी मंजिल तय कर लेना कुछ खेल नहीं, दांए बांए सुख-दुख चलते सम्मुख सम्मुख चलता पथ का प्रमाद, जिस जिससे पथ पर स्नेह मिला उस-उस राही को धन्यवाद|
जो साथ न मेरा दे पाए, उनसे कब सूनी हुई डगर, मै भी न चलूं तो भी क्या राही मर लेकिन राह अगर इस पथ पर वे ही चलते हैं, जो चलने का पा गए स्वाद जिस जिससे पथ पर स्नेह मिला उस-उस राही को धन्यवाद|
क कवि के अनुसार जीवन कैसा है?
ख जीवन रुपी यात्रा में कैसे कैसे अनुभव आते है?
ग मंजिल तय करना खेल क्यों नही है?
ध कवि किसको धन्यवाद करता है और क्यों?"
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क) जीवन अस्थिर, अनजाना, नश्वर, चंचल, क्षण भंगुर व बाधाओं से भरा होता है|
ख) जीवन रूपी यात्रा में कठिनाइयों रूपी पडाव, सुख-दुख व प्रमाद के अवसर आतें हैं|
ग) मंजिल पाने के लिए विभिन्न परेशानियों का सामना करना पडता है| इसकी राह बहुत लंबी होती है और चलने वाले कदम बहुत छोटे होते हैं इसलिए उसे पा लेना कठिन है|
ध) कवि उन सभी साथियों को धन्यवाद देता है जिन्होंने जीवन रूपी यात्रा में कवि को स्नेह दिया| उनका स्नेह पाकर कवि का जीवन पथ सरल तथा सुहाना हो गया|
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