निम्नलिखित काव्यांश को पढकर पूछे गए प्रश्न
जिस पर गिरकर उदर दरी से तुम ने जन्म लिया
जिस का खाकर अन्न, सुधा सम नीर समीर पिया है।
वह स्नेह की मूर्ति दयामयी माता तुल्य मही है
उस के प्रति कर्तव्य तुम्हारा क्या कुछ शेष नही है।
पैदा कर जिस देश जाति ने तुम को पाला पोसा
किए हुए है वह निज हित का तुमसे बडा भरोसा
उससे होना उऋण प्रथम है सत्कर्तव्य तुम्हारा
फिर दे सकते हो वसुधा को शेष स्वजीवन सारा kvi matribhoomi ke prti kis kartavya ka samran kra rha hai
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