Hindi, asked by AashiShk9021, 11 months ago

निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर लिखिए -
जो नहीं हो सके पूर्ण-काम
मैं उनको करता हूँ प्रणाम !
कुछ कुंठित औ कुछ लक्ष्य-भ्रष्ट
जिनके अभिमंत्रित तीर हुए
रण की समाप्ति के पहले ही
जो वीर रिक्त-तूणीर हुए
-उनको प्रणाम !
जो छोटी-सौ नैया लेकर
उतरे करने को उदधि-पार
मन की मन में ही रहो, स्वयं
हो गए उसी में निराकर
-उनको प्रणाम !
जो उच्च शिखर की ओर बढ़े
रह-रह नव-नव उत्साह भरे
पर कुछ ने ले ली हिम-समाधी
कुछ असफल ही नीचे उतरे
-उनको प्रणाम !
कृत-कृत्य नहीं जो हो पाए
प्रत्युत फांसी पर गए झूल
कुछ ही दिन बीते है, फिर भी
यह दुनिया जिनको गई भूल
-उनको प्रणाम !
I) कवि असफल लोगों को ही क्यों प्रणाम कर रहा है ?
ll) छोटी सी नौका से सागर पार करने की कोशिश करने वालों का महत्व क्या है ?
lll) उच्च शिखर की ओर बढ़ने वालों के भाव कैसे होते हैं ?
lV) समाज कैसे लोगों को भूला देता हैं ?
V) उदधि-पार करने से कवि का क्या आशय है ?

Answers

Answered by jahanulfat270
5

Answer:

kavi asafal logo se ye kahta h ki tm nirash mt ho o ek bar gir gaye to kya huwa utho chalo tm ko manjil jarur milegi.. aage badho himmat mt haro.

Answered by shishir303
5

(I)

कवि असफल लोगों को प्रणाम इसलिए करता है, क्योंकि उन्होंने अपने इच्छित लक्ष्य को पाने के लिए अपनी ओर से पूरा प्रयास किया था। भले ही हो अपने लक्ष्य को नहीं पा सके लेकिन उन्होंने एक प्रयास तो किया और कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। एक न एक दिन वह जरुर सफल होंगे इसके लिए कवि असफल लोगों को प्रणाम करता है।

(II)

छोटी सी नौका से कोशिश करने वालों से तात्पर्य सीमित साधनों से है अर्थात सीमित साधनों से किसी बड़े लक्ष्य की प्राप्ति की कोशिश की जा सकती है। बस मन में इच्छा शक्ति और दृढ़ संकल्प होना चाहिए। भारत के स्वाधीनता संग्राम की लड़ाई में देशभक्तों ने सीमित साधनों के बलबूते पर ही ताकतवर अंग्रेजी साम्राज्य को टक्कर दे दी थी।

(III)

जो उच्च शिखर को ओर बढ़ते हैं उनके भाव उत्साह से भरे होतें हैं, उनमें आसमान को छू लेने की इच्छा होती है।

(IV)

यह बात कवि ने भारत के स्वाधीनता संग्राम के संदर्भ में कही है। ऐसे क्रांतिकारी जो भारत की आजादी को पाने से पहले ही अंग्रेजों की पकड़ में आ गए और खुशी-खुशी फांसी के फंदे पर झूल गए। लेकिन ज्यादातर क्रांतिकारियों को दुनिया जल्दी ही भूल गई।

(V)

उदधि पार से कवि का आशय संघर्ष, संकट और कठिनाइयों से भरे सागर रूप जीवन को  को पार करके अपने लक्ष्य रूपी किनारे को पाना है।

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