Hindi, asked by Rickyanthony9038, 19 days ago

निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही विकल्प चुनकर लिखिए नाथ संभुधनु भंजनिहारा। होइहि केउ एक दास तुम्हारा ॥ आयेसु काह कहिअ किन मोही। सुनि रिसाइ बोले मुनि कोही ॥ सेवकु सो जो करें सेवकाई। अरिकरनी करि करिअ लराई॥ सुनहु राम जेहि सिवधनु तोरा। सहसबाहु सम सो रिपु मोरा॥ सो बिलगाउ बिहाइ समाजा। न त मारे जैहहिं सब राजा ॥ सुनि मुनि बचन लखन मुसुकाने। बोले परसुधरहि अपमाने॥ बह धनुही तोरी लरिकाई। कबहूँ न असि रिस कीन्हि गोसाई॥
येहि धनु पर ममता केहि हेतू। सुनि रिसाइ कह भृगुकुलकेतू ॥
नृप बालक काल बस बोलत तोहि सँभार।
धनुही सम तिपुरारि धनु बिदित सकल संसार ॥
'भृगुकुलकेतू' किसे कहा गया है ?
(क) लक्ष्मण को
(ख) राजा जनक को ।
(ग) परशुराम को |
(घ) विश्वामित्र को |

Answers

Answered by bhatiamona
2

भृगुकुलकेतू' किसे कहा गया है ?

(क) लक्ष्मण को

(ख) राजा जनक को ।

(ग) परशुराम को |

(घ) विश्वामित्र को |

इसका सही जवाब है :

(ग) परशुराम को |

व्याख्या :

भृगुकुलकेतू' परशुराम को कहा गया है |

यह काव्यांश तुलसीदास राम लक्ष्मण परशुराम संवादसे लिया गया है | काव्यांश में राम-लक्ष्मण जी और परशुराम के शिव धनुष टूटने पर लिए संवाद को बताया गया है | स्वयंवर में जो धनुष टूट गया था, वह राजा जनक का धनुष था | स्वयंवर में राम जी ने राजा जनक के धनुष को तोड़ा था | शिव के धनुष के टूटने के बाद परशुराम जी सुनकर परशुराम जी और क्रोधित हो जाते हैं| और कहते है उसने इस धनुष को तोड़कर मुझे युद्ध के लिए ललकारा है इसलिए वो मेरे सामने आये।

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