निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे प्रश्नो के उत्तर लिखिए । आंगन में लिए - - - - - - - - - - - - - - - - गूंज उठती है खिलखिलाते बच्चे की हंसी । ( क ) इस काव्यांश के कवि तथा कविता का नाम लिखिए । ( ख ) चांद के टुकड़े का प्रयोग किसके लिए हुआ है और क्यो। ( ग ) मां व्दारा शिशु को खिलाने का चित्र अंकित किजिए है । ( घ ) बच्चा मां की गोद में कैसी प्रतिक्रिया करता है । ( ङ ) यह अंश वात्सल्य का एक सुंदर दृश्य प्रस्तुत करता है :- सिध्द किजिए ।
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क)गूँज उठती है खिलखिलाते बच्चे की हँसी। प्रसंग: प्रस्तुत रुबाई उर्दू के मशहूर शायर फिराक गोरखपुरी द्वारा रचित है। फिराक की रुबाई में हिंदी का एक घरेलू रूप दिखाई देता है। इस रुबाई में माँ बच्चों को प्यार करती हुई हाथों में झूला झुला रही है।
ख)एक माँ चाँद के टुकड़े अर्थात अपने बेटे को अपने घर के आँगन में लिए खड़ी है।
ग)माँ में इतनी शक्ती होती है वह अपने शिशु के लिए कोई भी रूप धारण कर लेती है | माँ अपने शिशु को खिलाने के लिए वह खुद शिशु बन जाती है। माँ शिशु को खाने को अलग-अलग तरह के नाम देकर खिलाती है। वह शिशु को दलिया, खिचड़ी, खीर , मीठा, खट्टा आदि सब बाते बना बना कर खिलाती है।
घ)रोता हुआ बच्चा मा के पास पहुंचते ही रोना बंद कर देता है।
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