निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए
माँ ने कहा पानी में झाँक कर अपने चेहरे पर मत रीझना
आग रोटियाँ सेंकने के लिए है जलने के लिए नहीं
वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भर्मों की तरह
बंधन है स्त्री जीवन के
माँ ने कहा लड़की होना
पर लड़की जैसी दिखाई मत देना।
प्रश्न-1), माँ ने बेटी को विदा करते समय क्या-क्या बातें समझाई?
प्रश्न-11). लड़की होना, पर लड़की जैसी दिखाई मत देना' का क्या आशय है ?
प्रश्न-li). प्रस्तुत काव्यांश पढ़कर लड़की की माँ के बारे में आप की क्या
धारणा बनती है?
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i. माँ ने बेटी को विदा करते समय समझाया कि उसे उस पानी में अपने प्रतिबिम्ब को देख अपने भाग्य को कोसने की जरूरत नहीं है, की वह लड़की क्यों बनी। उसे आग में आत्महत्या करना के विचार भी नहीं करना चाहिए। जिंदगी भर मंगलसूत्र, आदि आभूषण के बंधन में नहीं रहना चाहिए अर्थात गृह बंदी होकर नहीं रहना चाहिए। कोई उपयोगी कार्य करना चाहिए।
ii. एक स्त्री के भांति सहनशील, शालीन, कर्मठ, नम्र, ... होना चाहिए । मगर उसे कभी भी कमजोर नहीं हिना चाहिए अर्थात उसे कभी भी गलत के सामने हर नहीं माननी चाहिए। समाज के रूढ़ि वादी परम्पराओं का सामना दतजर करना चाहिये।
iii. वह बहुत ही दूरदर्षि, बुद्धिमती, समाज की रूढ़ि वादी विचारों से हटकर सोचने वाली एक सशाक्त नारी है।
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