निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
कंटकित यह पंथ भी हो जाएगा आसान क्षण में,
पाँव की पीड़ा क्षणिक यदि तू करे अनुभव न मन में,
सृष्टि सुख-दुख क्या हृदय की भावना के रूप में हैं दो
भावना की ही प्रतिध्वनि गूंजती भू, दिशि,गगन में
एक ऊपर भावना से भी है मगर शक्ति. कोई भावना भी सामने जिसके विवश
व्याकुल मुसाफिर पंथ पर चलना तुझे तो मुस्करा कर चल मुसाफिर ।
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omo de koriase ame kosi to moni de seprosa namaste
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