निम्नलिखित काव्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए-
न हाथ एक शस्त्र हो,
अड़ो वहीं, गड़ो वहीं,
1
न हाथ एक अस्त्र हो,
बढ़े चलो, बढ़े चलो।
न अन्न, वीर-वस्त्र हो,
चलो नई मिसाल हो,
हटो नहीं, डरो नहीं,
जलो नई मिसाल हो,
बढ़े चलो, बढ़े चलो।
बढ़ो नया कमाल हो,
रहे समक्ष हिम-शिखर,
झुको नहीं, रुको नहीं,
तुम्हारा प्रण उठे निखर,
बढ़े चलो, बढ़े चलो।
भले ही जाए जन बिखर,
अशेष रक्त तोल दो,
रुको नहीं, झुको नहीं,
स्वतंत्रता का मोल दो,
बढ़े चलो, बढ़े चलो।
कड़ी युगों की खोल दो,
गगन उगलता आग हो,
डरो नहीं, मरो नहीं,
छिड़ा मरण का राग हो,
बढ़े चलो, बढ़े चलो।
लहू का अपने फाग हो,
2
उपर्युक्त काव्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
(क) किन-किन विषम परिस्थितियों में भी कवि हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रहा है? पहले दो पदों के आधार
पर उत्तर दीजिए।
(ख) अंतिम तीन पदों में कवि ने राष्ट्रहित में क्या-क्या करने को कहा है?
(ग) रहे समक्ष हिम शिखर' से क्या तात्पर्य है?
(घ) कवि ने किस रास्ते पर चलते रहने की बात पूरी कविता में कही है?
(ङ) स्वतंत्रता का मोल किस तरह चुकाने की बात कवि ने की है?
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(ख) अंतिम तीन पदों में कवि ने राष्ट्रहित में क्या-क्या करने को कहा है?
(ग) रहे समक्ष हिम शिखर' से क्या तात्पर्य है?
(घ) कवि ने किस रास्ते पर चलते रहने की बात पूरी कविता में कही है?
(ङ) स्वतंत्रता का मोल किस तरह चुकाने की बात कवि ने की है?
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Answer:
(a) kisi bhi tarah ki paristhiti ho hame har nhi manani chaiye kavi hame aage badhne ki prerna de rha h
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