निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर 20-30 शब्दों में लिखिए: मैं चला, तुम्हें भी चलना है असि धारों पर सर काट हथेली पर लेकर बढ़ आओ तो| इस युग को नूतन स्वर तुमको ही देना है, अपनी क्षमता को आज़ जरा अज़माओ तो| दे रहा चुनौती समय अभी नवयुवकों को मैं किसी तरह मंजिल तक पहले पहुँचुंगा| तुम बिना सकोगे भूतल का इतिहास नया, मैं गिरे-हुए लोगों के गले लगाऊँगा नया| क्यों ऊँच-नीच, कुल, जाति रंग का भेद-भाव? मैं रूढ़िवाद का कल्मष-महत ढहाऊँगा| जिनका जीवन वसुधा की रक्षा हेतु बना मरकर भी सदियों तक यों ही वे जीते हैं| दुनिया कोए देते हैं यश की रसधार विमल खुद हँसते-हँसते कालकूट को पीते हैं| है अगर तुम्हें यह भूख-‘मुझे भी जीना है’ तो आओ मेरे साथ नींव में गड जाओ| ऊपर इसके निर्मित होगा आनंद-महल मरते-मरते भी दुनिया में कुछ कर जाओ| (क) कवि को नवयुवकों से क्या-क्या अपेक्षाएँ हैं? (ख) ‘मरकर भी सदियों तक जीना’ कैसे संभव है? स्पष्ट कीजिए| (ग) भाव स्पष्ट कीजिए: ‘दुनिया को देते हैं यश की रसधार विमल’ खुद हँसते-हँसते कालकूट को पीते हैं|
Answers
निम्नलिखित काव्यांश पूछे गए प्रश्नों के उत्तर इस प्रकार है :
(क) कवि को नवयुवकों से क्या-क्या अपेक्षाएँ हैं?
उतर : कवि को नवयुवकों से देश की रक्षा करने के लिए हमेशा तैयार रहने की अपेक्षाएँ है,कवि नवयुवकों को देश की रक्षा करने के लिए प्रेरित करते हैं। देश का नया निर्माण करो और ऊँच-नीच का भेद समाप्त , भ्रष्टाचार को खत्म करके स युग को नया स्वर और नई दिशा की और लेकर जाओ नया इतिहास बनाओ |
(ख) ‘मरकर भी सदियों तक जीना’ कैसे संभव है? स्पष्ट कीजिए|
उतर : ‘मरकर भी सदियों तक जीना’ का अर्थ कवि समझाते है कि जो वीर जवान अपना जीवन अपने देश की रक्षा के लिए समर्पित कर देते है , उसे लोग सदियों तक याद रखते हैं। इसी को मरकर जीना कहा जाता है क्योंकि उनके मरने के बाद भी सब उनके बलिदानों को याद करते है|
(ग) भाव स्पष्ट कीजिए: ‘दुनिया को देते हैं यश की रसधार विमल’ खुद हँसते-हँसते कालकूट को पीते हैं|
उतर : कवि इन पंक्तियों में कहना चाहते हैं कि मानवता को दिशा देने वाले लोग समाज के तमाम कष्टों को सहकर भी देश की भलाई के लिए कार्य करते हैं। वह ऐसा स्वयं अनेक परेशानियों का सामना करते हुए करते हैं|
Explanation:
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