Hindi, asked by Mykids5308, 10 months ago

निम्नलिखित कवियों में से किसी एक कवि का जीवन-परिचय दीजिए एवं उनकी किसी एक रचना का नाम लिखिए—
(1) सूरदास
(2) तुलसीदास
(3) रसखान
(4) बिहारीलाल
(5) सुमित्रानन्दन पन्त
(6) महादेवी वर्मा
(7) रामनरेश त्रिपाठी
(8) मैथिलीशरण गुप्त
(9) केदारनाथ सिंह
(10) सुभद्रा कुमारी चौहान
(11) श्री श्यामनारायण पाण्डेय

Answers

Answered by vinaysancheti2512
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1 सूरदास

जीवन-परिचय- महाकवि सूरदास का जन्‍म 'रुनकता' नामक ग्राम में सन् 1478 ई. में पं. रामदास घर हुआ था । पं. रामदास सारस्‍वत ब्राह्मण थे और माता जी का नाम जमुनादास। कुछ विद्वान् 'सीही' नामक स्‍थान को सूरदास का जन्‍मस्‍थल मानते है। सूरदास जी जन्‍म से अन्‍धे थे या नहीं इस सम्‍बन्‍ध में भी अनेक कत है। कुछ लोगों का कहना है कि बाल मनोवृत्तियों एवं मानव-स्‍वभाव का जैसा सूक्ष्‍म ओर सुन्‍दर वर्णन सूरदास ने किया है, वैसा कोई जन्‍मान्‍ध व्‍यक्ति कर ही नहीं कर सकता, इसलिए ऐसा प्रतीत होता है कि वे सम्‍भवत: बाद में अन्‍धे हुए होंगे।

सूरदास जी श्री वल्‍लभाचार्य के शिष्‍य थे। वे मथुरा के गऊघाट पर श्रीनाथ जी के मन्दिर में रहते थे। सूरदास जी का विवाह भी हुआ था। विरक्‍त होने से पहले वे अपने परिवार के साथ ही रहा करते थे। पहले वे दीनता कें पद गाया करते थे, किन्‍तु वल्‍लभाचार्य के सम्‍पर्क में अने के बाद वे कृष्‍णलीला का गान करने लगे। कहा जाता है कि एक बार मथुरा में सूरदास जी से तुलसी कभ्‍ भेंट हुई थी और धीरे-धीरे दोनों में प्रेम-भाव बढ़ गया था। सूर से

प्रभ‍ावित होकर ही तुलसीदास ने श्रीकृष्‍णगीतावली' की रचना की थी।

Answered by bhatiamona
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महादेवी वर्मा का जीवन-परिचय

महादेवी वर्मा-एक व्यक्तित्व !

महादेवी का जन्म 26 मार्च 1907 को प्रातः 8 बजे  फ़र्रुख़ाबाद उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ।  

महादेवी वर्मा के पिता श्री गोविन्द प्रसाद वर्मा एक वकील थे और माता श्रीमती हेमरानी देवी थीं।  

लेखन, संपादन और अध्यापन रहा। उन्होंने इलाहाबाद में प्रयाग महिला विद्यापीठ के विकास में महत्वपूर्ण योगदान किया।  उन्होंने गद्य, काव्य, शिक्षा और चित्रकला सभी क्षेत्रों में नए आयाम स्थापित किये।  इसके अतिरिक्त उनकी 18 काव्य और गद्य कृतियां हैं जिनमें मेरा परिवार, स्मृति की रेखाएं, पथ के साथी, शृंखला की कड़ियाँ और अतीत के चलचित्र प्रमुख हैं। सन 1955 में महादेवी जी ने इलाहाबाद में साहित्यकार संसद की स्थापना की |

महादेवी वर्मा ने अपनी कविताओं के जरिए स्वतंत्रता संग्राम की आज़ादी के लिए  लोगों को प्रेरित किया|  

मैं नीर भरी दुख की बदली  

यह कविता महादेवी वर्मा जी लिखी है | इस कविता में महादेवी वर्मा जी ने भारतीय नारी की व्यथा को बादल के माध्यम से वर्णन किया है।

लड़की का जीवन एक माटी की गुडिया की तरह जिसे अपनी ज़िन्दगी में हर मोड़ पर टूटने और समझोते करने पड़ते है | लड़की को बहार नहीं जाने दिया जाता , उसे शिक्षा से वंचित किया जाता है |  हर समय उसे ही झुकना पड़ता है|

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