निम्नलिखित मुहावरे का अर्थ देकर वाक्य में प्रयोग कीजिए
33. भवसागर तरना
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संसार रूपी समुद्र।
ब्रााहृणः-जो मनुष्य सुख और दुःख दोनों को अनित्य, शरीर को अपवित्र वस्तुओं का समुदाय और मृत्यु को कर्म का फल समझता है तथा सुख के रुप में जो कुछ भी प्रतीत होता है उसे दुःख ही दुःख मानता है वह इस घोर तथा दुस्तर सागर से पार हो जाता है
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