निम्नलिखीत पंक्ति का सरल अर्थ लिखित
चारू चंद्र.............. झोंकों से|
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चारुचंद्र की चंचल किरणें, खेल रहीं हैं जल थल में,
स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है अवनि और अम्बरतल में।
सुंदर चन्द्रमा की चंचल किरणें... जल और भूमि पर बिखर रही हैं...
चाँद की स्पष्ट रोशनी फैली हुई है... धरती और आकाश में...
पुलक प्रकट करती है धरती, हरित तृणों की नोकों से,
मानों झीम रहे हैं तरु भी, मन्द पवन के झोंकों से॥
धरती रोमांच का अनुभव कर रही है, हरे घास के नुकीले तिनकों से...
मानो ऐसा लगता है जैसे वृक्ष भी... धीमी गति से चल रही हवा में झूम रहे हैं...
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चारु चंडेर की चंचल किरने खेल रही थी जल थल में
स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है धरती और अम्बरतल में
स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है धरती और अम्बरतल में
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