निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षेप में उत्तर लिखिए
(i) 'ग्रामश्री' कविता में कवि ने 'गाँव को मरकत डिब्बे सा खुला' क्यों कहा है?
(ii) 'इस विजन में दूर व्यापारिक नगर से प्रेम की प्रिय भूमि उपजाऊ अधिक है'-पंक्तियों में नगरीय संस्कृति के प्रति कवि का क्या आक्रोश है और क्यों?
(iii) बच्चों का काम पर जाना धरती के एक बड़े हादसे के समान क्यों है?
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'marakat' 'pannaa' naamak ratan ko kahate hain. Jisakaa rang haraa hotaa hai. Marakat ke khule ḍaibbe se sab kuchh saapha-saapha dikhataa hai. Marakat ke hare rng kee tulanaa gaanv kee hariyaalee se kee ga_ii hai. Gaanv kaa vaataavaraṇa bhee marakat ke khule ḍaibbe ke samaan haraa bharaa tathaa khulaa-khulaa saa lagataa hai. Isalie gaanv ko 'marakat ḍaibbe saa khulaa' kahaa gayaa hai.
duragpalsingh:
thanks sir.
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(i) मरकत मणि एक एक रत्न का प्राचीन नाम है, , जिसे आज के समय में पन्ना के नाम से संबोधित किया जाता हैं । इस रत्न की विशेषता है की जब इसमें से देखा जाता है तो सब कुछ स्पष्ट दिखाईदेता हैं । जो इसकी शुद्धता का परिचायक हैं । यह रत्न हरे रंग का होता हैं । गाँव हरा भरा हैं और यहाँ का पर्यावरण स्पष्ट साफ़ है , इसलिए गाँव को 'मरकत डिब्बे सा खुला' कहा गया है।
(ii)चूँकि नगरीय संस्कृति विलासवाद , स्वार्थ और पूंजीवाद का परिचायक हैं, और जो नैसर्गिक भावना रहित समाज का उद्बोधक हैं |
ऐसी व्यस्वस्था मानव मूल्यों के पतन और सामाजिक व्यस्वस्था के गिरावट की सूचक हैं |इस वजह से कवि ने आक्रोश प्रकट किया है।
(iii)हमारे आने वाले कल का बच्चे भविष्य हैं | यह छोटे पोधे कल को वृक्ष बनेगे , अगर इनको हवा-पानी न दी जाए तो यह न तो छाँव देंगे न ही फल |
इसी तरह अगर बच्चो को काम पर भेजा जाये तो उनकी प्राथमिक शिक्षा और बचपन से वंचित रखना , एक स्वस्थ समाज , राष्ट्र के लिए फलदाई नहीं है|यह एक अभिशाप और धरती के लिए हादसा ही हैं | यहाँ धरती , समाज राष्ट्र का सूचक हैं |
(ii)चूँकि नगरीय संस्कृति विलासवाद , स्वार्थ और पूंजीवाद का परिचायक हैं, और जो नैसर्गिक भावना रहित समाज का उद्बोधक हैं |
ऐसी व्यस्वस्था मानव मूल्यों के पतन और सामाजिक व्यस्वस्था के गिरावट की सूचक हैं |इस वजह से कवि ने आक्रोश प्रकट किया है।
(iii)हमारे आने वाले कल का बच्चे भविष्य हैं | यह छोटे पोधे कल को वृक्ष बनेगे , अगर इनको हवा-पानी न दी जाए तो यह न तो छाँव देंगे न ही फल |
इसी तरह अगर बच्चो को काम पर भेजा जाये तो उनकी प्राथमिक शिक्षा और बचपन से वंचित रखना , एक स्वस्थ समाज , राष्ट्र के लिए फलदाई नहीं है|यह एक अभिशाप और धरती के लिए हादसा ही हैं | यहाँ धरती , समाज राष्ट्र का सूचक हैं |
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