निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए −
धूल, धूलि, धूली, धूरि और गोधूलि की व्यंजनाओं को स्पष्ट कीजिए।
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उत्तर :
लेखक ने धूल को जीवन का यथार्थवादी गद्य कहा है। धूलि को वह उसकी कविता मानता है। धूली को वह छायावादी दर्शन मानता है, जिसकी वास्तविकता उसे संदिग्ध लगती है। धूरि को लेखक ने लोक संस्कृति का नवीन जागरण माना है। गोधूलि से अर्थ है शाम के वक्त उड़ने वाले उस धूल से है जो गायें चराकर गांव की ओर लौटते समय ग्वालों और गायों के पैरों से उठती हैं। इस प्रकार लेखक में चारों को अलग-अलग रूप में चित्रित किया है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।
लेखक ने धूल को जीवन का यथार्थवादी गद्य कहा है। धूलि को वह उसकी कविता मानता है। धूली को वह छायावादी दर्शन मानता है, जिसकी वास्तविकता उसे संदिग्ध लगती है। धूरि को लेखक ने लोक संस्कृति का नवीन जागरण माना है। गोधूलि से अर्थ है शाम के वक्त उड़ने वाले उस धूल से है जो गायें चराकर गांव की ओर लौटते समय ग्वालों और गायों के पैरों से उठती हैं। इस प्रकार लेखक में चारों को अलग-अलग रूप में चित्रित किया है।
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मिट्टी इस भौतिक संसार की जननी है। रूप, रस, गंध, स्पर्श के सभी भेद इसी मिट्टी में से जन्म लेते हैं। मिट्टी के दो रूप हैं-उज्ज्वल तथा मलिन। मिट्टी की जो आभा है, उसका नाम है धूल। यह मिट्टी का श्रृंगार है। यह एक प्रकार से मिट्टी की ऊपरी परत है जो गोधूलि के समय आसमान में उड़ती है या चाँदनी रात में गाड़ियों के पीछे-पीछे उठ खड़ी होती । है। यह फूलों की पंखुड़ियों पर या शिशुओं के मुख पर श्रृंगार के समान सुशोभित होती है। ‘गर्द’ मैल को कहते हैं।
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