निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए −
रामन् के प्रारंभिक शोधकार्य को आधुनिक हठयोग क्यों कहा गया है?"
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उत्तर :
रामन् कोलकाता में सरकारी नौकरी करते थे तब भी उनकी वैज्ञानिक शोध कार्य में रुचि बनी हुई थी। वह अपने ऑफिस से लौटते हुए बहू बाजार में डॉ महेंद्र पाल द्वारा स्थापित ‘इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस’ की प्रयोगशाला में उपलब्ध उपकरणों की मदद से अपने शोध कार्य करते थे। उनका यह काम वास्तव में आधुनिक हठयोग का उदाहरण था जिसमें एक साधक अपने कार्यालय में कठिन परिश्रम करने के बाद बहू बाजार के साधारण सी प्रयोगशाला में काम चलाऊ उपकरणों की मदद से और अपनी प्रबल इच्छा शक्ति के बल पर भौतिक विज्ञान को समृद्ध बनाने की कोशिश करता था।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
रामन् कोलकाता में सरकारी नौकरी करते थे तब भी उनकी वैज्ञानिक शोध कार्य में रुचि बनी हुई थी। वह अपने ऑफिस से लौटते हुए बहू बाजार में डॉ महेंद्र पाल द्वारा स्थापित ‘इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस’ की प्रयोगशाला में उपलब्ध उपकरणों की मदद से अपने शोध कार्य करते थे। उनका यह काम वास्तव में आधुनिक हठयोग का उदाहरण था जिसमें एक साधक अपने कार्यालय में कठिन परिश्रम करने के बाद बहू बाजार के साधारण सी प्रयोगशाला में काम चलाऊ उपकरणों की मदद से और अपनी प्रबल इच्छा शक्ति के बल पर भौतिक विज्ञान को समृद्ध बनाने की कोशिश करता था।
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हठयोग में योगी अपने शरीर को असह्य पीड़ा से गुजारता है। रामन भी कुछ ऐसा ही कर रहे थे। वे पूरे दिन सरकारी नौकरी में कठिन परिश्रम करते थे और उसके बाद बहु बाजार स्थित प्रयोगशाला में वैज्ञानिक शोध करते थे। उस प्रयोगशाला में बस कामचलाउ उपकरण ही थे। इसलिए रामन के प्रारंभिक शोधकार्य को आधुनिक हठयोग कहा गया है।
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