निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए −
कवियों की धारणा को लेखक ने वृत्ति -शून्य क्यों कहा है।
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उत्तर :
कवियों की धारणा को लेकर लेखक ने वृत्ति शून्य इसलिए कहा है क्योंकि वे लेखक के इस तर्क को स्वीकार नहीं करेंगे कि जिस पंक सब को सुनने से ही वे पंक शब्द से नफ़रत करने लगता है। उसी पंक से पैदा पंकज का नाम सुनने से उनका मन खुश हो होकर गाने क्यों लगता है ? उस पंक से उनकी नफ़रत बेकार है। हमारा अन्न भी कीचड़ से ही पैदा होता है और हमारा राष्ट्रीय फूल कमल जो अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, वह भी कीचड़ में पैदा होता है इसलिए कीचड़ का तिरस्कार करना उचित नहीं है। वे अपना तर्क देकर लेखक के तर्क को नहीं मानेंगे।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।
कवियों की धारणा को लेकर लेखक ने वृत्ति शून्य इसलिए कहा है क्योंकि वे लेखक के इस तर्क को स्वीकार नहीं करेंगे कि जिस पंक सब को सुनने से ही वे पंक शब्द से नफ़रत करने लगता है। उसी पंक से पैदा पंकज का नाम सुनने से उनका मन खुश हो होकर गाने क्यों लगता है ? उस पंक से उनकी नफ़रत बेकार है। हमारा अन्न भी कीचड़ से ही पैदा होता है और हमारा राष्ट्रीय फूल कमल जो अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, वह भी कीचड़ में पैदा होता है इसलिए कीचड़ का तिरस्कार करना उचित नहीं है। वे अपना तर्क देकर लेखक के तर्क को नहीं मानेंगे।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।।
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कवि को लेखक ने युक्ति शून्य वृत्ति वाला बताया है। लेखक के अनुसार, कवि को सिक्के का केवल एक ही पहलू नजर आता है। कोई भी कवि ‘पंकज’ शब्द सुनकर आह्लादित हो उठता है लेकिन ‘पंक’ का नाम सुनते ही नाक भौं सिकोड़ने लगता है। ‘मल’ शब्द से कवि का मन मलिन हो उठता है लेकिन ‘कमल’ शब्द सुनते ही कवि नाचने लगता है।
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