Geography, asked by maahira17, 11 months ago

निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें।
(i) भारत में भूसंसाधनों की विभिन्न प्रकार की पर्यावरणीय समस्याएँ कौन-सी हैं? उनका निदान कैसे किया
जाए?

Answers

Answered by nikitasingh79
5

(i) भारत में भूसंसाधनों की विभिन्न प्रकार की पर्यावरणीय समस्याओं का सामना करना पड़ता है तो निम्नलिखित है :  

(1) अपरदन की समस्या :  

दक्षिण पश्चिमी मानसून की मूसलाधार वर्षा से उत्पन्न बाढ़ वाले क्षेत्र में भूमि का अपरदन एक गंभीर समस्या बन गई है। इससे मृदा की उर्वरता का हा्स होता है।

(2) जलाक्रांतता की समस्या :  

अधिक सिंचाई वाले क्षेत्रों में कृषि भूमि जलाक्रांतता अर्थात जलजमाव की समस्या उत्पन्न हो गई है। अभी तक 70 लाख हेक्टेयर भूमि जल जमाव के कारण अपनी उर्वरता खो चुकी है।  

(3) मृदा परिच्छेदिका में जहरीले तत्वों के जमाव की समस्या :  

कीटनाशक रसायनों के अत्यधिक प्रयोग से मृदा परिच्छेदिका मे जहरीले तत्वों के जमाव की समस्या उत्पन्न हो गई है।  

(4) लवणता एवं क्षारता की समस्या :

सिंचित क्षेत्रों में लवणता एवं क्षारता कि समस्या उत्पन्न हो गई है।  अभी तक लवणता एवं क्षारता से लगभग 8000000 हेक्टेयर भूमि प्रभावित हो चुकी है जिसके कारण भूमि बंजर हो चुकी है।

(5) प्राकृतिक उर्वरता के हा्स के समस्या :  

सिंचाई की सुविधा वाले क्षेत्रों में फसल प्रतिरूप में परिवर्तन हो गया है तथा बहु फसली करण में वृद्धि से परती भूमि के क्षेत्रफल में कमी आई है। इससे प्राकृतिक रूप से उर्वरकता पाने की प्रक्रिया में अवरोध उत्पन्न हो गया है।  

उपरोक्त समस्याओं के समाधान के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकी एवं तकनीकी का विकास करना होगा;  जैसे - जैविक उर्वरकों एवं जैविक कीटनाशकों का प्रयोग,  सिंचाई में उचित एवं कम पानी का प्रयोग तथा बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों में वृक्षारोपण एवं तटबंधों का निर्माण आदि।

आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।

इस पाठ  (भूसंसाधन तथा कृषि) के सभी प्रश्न उत्तर :  

https://brainly.in/question/15130947#

इस पाठ से संबंधित कुछ और प्रश्न :

नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए।

(i) निम्न में से कौन-सा भू-उपयोग संवर्ग नहीं है?

(क) परती भूमि (ग) निवल बोया क्षेत्र

(ख) सीमांत भूमि (घ) कृषि योग्य व्यर्थ भूमि

(ii) पिछले 40 वर्षों में वनों का अनुपात बढ़ने का निम्न में से कौन-सा कारण है?

(क) वनीकरण के विस्तृत व सक्षम प्रयास

(ख) सामुदायिक वनों के अधीन क्षेत्र में वृद्धि

(ग) वन बढ़ोतरी हेतु निर्धारित अधिसूचित क्षेत्र में वृद्धि ………………..

https://brainly.in/question/15131022#

निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें।

(i) बंजर भूमि तथा कृषि योग्य व्यर्थ भूमि में अंतर स्पष्ट करें।

(ii) निवल बोया गया क्षेत्र तथा सकल बोया गया क्षेत्र में अंतर बताएँ।

(iii) भारत जैसे देश में गहन कृषि नीति अपनाने की आवश्यकता क्यों है?

(iv) शुष्क कृषि तथा आई कृषि में क्या अंतर हैं?

https://brainly.in/question/15131047#

Answered by Anonymous
5

उत्तर :-

भारत में कई पर्यावरणीय मुद्दे हैं। वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, कचरा प्राकृतिक रूप से प्रतिबंधित सामान और प्राकृतिक पर्यावरण का प्रदूषण सभी भारत के लिए चुनौती हैं। भारत पर प्रकृति कुछ कठोर प्रभाव डाल रही है। 1947 से 1995 के बीच स्थिति बदतर थी। विश्व बैंक विशेषज्ञों के डेटा संग्रह और पर्यावरण मूल्यांकन अध्ययनों के अनुसार, 1995 से 2010 के बीच, भारत ने अपने पर्यावरणीय मुद्दों को दूर करने और दुनिया में अपने पर्यावरण की गुणवत्ता में सुधार करने में कुछ सबसे तेज प्रगति की है। फिर भी, भारत के पास विकसित अर्थव्यवस्थाओं के समान पर्यावरणीय गुणवत्ता तक पहुंचने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना है। प्रदूषण भारत के लिए एक बड़ी चुनौती और अवसर बना हुआ है।

पर्यावरण के मुद्दे भारत के लिए बीमारी, स्वास्थ्य के मुद्दों और दीर्घकालिक आजीविका प्रभाव के प्राथमिक कारणों में से एक हैं।

कानून और नीतियां संपादित करें मुख्य लेख :-

भारत के ब्रिटिश शासन ने पर्यावरण से संबंधित कई कानूनों को देखा। सबसे पुराने लोगों में 1853 का शोर उपद्रव (बॉम्बे और कोलकाता) अधिनियम और 1857 का ओरिएंटल गैस कंपनी अधिनियम था। 1860 का भारतीय दंड संहिता, किसी पर भी जुर्माना लगाता है, जो स्वेच्छा से किसी भी सार्वजनिक वसंत या जलाशय का पानी निकालता है। इसके अलावा, संहिता ने लापरवाह कृत्यों को दंडित किया। ब्रिटिश भारत ने भी वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के उद्देश्य से कानून बनाए। इनमें से प्रमुख थे 1905 का बंगाल स्मोक न्युटेंस एक्ट और 1912 का बॉम्बे स्मोक न्यूसेंस एक्ट। ये कानून जब तक लागू नहीं हो पाए, तब तक ब्रिटिश-अधिनियमित कानूनों ने भारत में पर्यावरणीय नियमों के विकास का बीड़ा उठाया।

ब्रिटेन से स्वतंत्रता के बाद, भारत ने पर्यावरण की रक्षा पर कोई विशेष संवैधानिक प्रावधान किए बिना, एक संविधान और कई ब्रिटिश-अधिनियमित कानूनों को अपनाया। भारत ने 1976 में अपने संविधान में संशोधन किया। संशोधित संविधान के भाग IV के अनुच्छेद 48 (ए) में पढ़ा गया है: राज्य पर्यावरण की रक्षा और सुधार और देश के वनों और वन्यजीवों की रक्षा करने का प्रयास करेगा। अनुच्छेद 51 ए (जी) ने भारतीय राज्य पर अतिरिक्त पर्यावरणीय अधिदेश लगाए।

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