Hindi, asked by BrainlyHelper, 1 year ago

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए
क)आपकी दृष्टि में भगत की कबीर पर श्रद्धा के क्या कारण रहे होंगे? ‘बालगोबिन भगत’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
ख)वास्तविक अर्थों में ‘संस्कृत व्यक्ति’ किसे कहा जा सकता है ?संस्कृति पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
ग)हालदार साहब का अचानक जीप रुकवाने का क्या कारण था? ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
घ)पुरातन समय की शिक्षा प्रणाली और आज की शिक्षा प्रणाली में क्या अंतर है? ‘स्त्री शिक्षा के विरोधी कुतर्कों का खंडन’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

Answers

Answered by nikitasingh79
15
क) मेरे विचार में भगत की कबीर पर अगाध श्रद्धा के कई कारण रहे होंगे, जैसे कि भगत समाज में प्रचलित रूढ़िवादी सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। वह भगवान के निराकार रूप को मानते थे, जिसमें मनुष्य के अंत समय में आत्मा से परमात्मा का मिलन होता है । वे गृहस्थ होते हुए भी व्यवहार से साधु थे। वे सब चीजों की प्राप्ति में भगवान को सहायक मानते थे। जिन बातों को भगत मानते थे वही बातें कभी ने अपनी वाणी में भी कही थी। इसलिए बालगोबिन भगत की कबीर पर श्रद्धा थी।

ख) लेखक ने उस व्यक्ति को संस्कृत व्यक्ति बताया हैं जिसकी योग्यता, बुद्धि ,विवेक, प्रेरणा अथवा प्रवृत्ति उसे किसी नए तथ्य का दर्शन करवाती है और वह जनकल्याण के लिए निस्वार्थ भाव से कार्य करता है। संस्कृत व्यक्ति सदा अच्छे कार्य करता है। वह प्राणीमात्र  के कल्याण की चिंता करता है ।अपने कार्यों से वह किसी का अहित नहीं करता। वह स्वयं कष्ट उठाकर दूसरों को सुख देता है।

ग) हालदार साहब सोच रहे थे कि जब कैप्टन चश्मे वाला ही नहीं रहा तो सुभाष चंद्र बोस जी की मूर्ति पर चश्मा भी नहीं होगा परंतु जैसे ही उनकी जीप कस्बे के चौराहे पर पहुंची तो उन्होंने देखा कि मूर्ति पर चश्मा लगा हुआ था। वह अत्यंत आनंदित हुए तथा उत्साह में आकर उन्होंने तुरंत जीभ रुकवा दी।

घ) पुराने जमाने में लोग स्त्रियों को शिक्षा देने के विरोधी थे। प्राचीन शिक्षा प्रणाली में शिक्षा गुरु के आश्रमों और मंदिरों में दी जाती थी।वे स्त्रियों को पढ़ाने से अनर्थ होना मानते थे। धीरे-धीरे लोगों ने शिक्षा का महत्व समझा और स्त्रियों को भी पढ़ाने लगे। स्कूल-कॉलेजों में शिक्षा के नाम पर परंपरागत रूप से पढ़ाए जाने वाले विषय पढ़ाए जाते थे। अब शिक्षा प्रणाली में व्यापक परिवर्तन आ गया है। विद्यार्थियों को परंपरागत शिक्षा के साथ-साथ रोजगारोन्मुख विषय भी बनाए जाते हैं जिससे वह अपनी शिक्षा समाप्त करने के बाद से हम को किसी व्यवसाय अथवा कार्य में लगाकर आजीविका अर्जित कर सकें। स्त्रिया भी पढ़ लिखकर कुशल गृहस्थ जीवन व्यतीत करने के साथ ही समाज एवं देश के लिए अनेक उपयोगी कार्य भी कर रही है। आज सहशिक्षा में पढ़ना सामान्य बात हो गई है ।आज लड़कियों को लड़कों के समान शिक्षा के अवसर प्राप्त है।

Answered by gourav90982
3

Answer:

Gourav90982Ambitious

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nikitasingh79

Nikitasingh79★ Brainly Teacher ★

क) मेरे विचार में भगत की कबीर पर अगाध श्रद्धा के कई कारण रहे होंगे, जैसे कि भगत समाज में प्रचलित रूढ़िवादी सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। वह भगवान के निराकार रूप को मानते थे, जिसमें मनुष्य के अंत समय में आत्मा से परमात्मा का मिलन होता है । वे गृहस्थ होते हुए भी व्यवहार से साधु थे। वे सब चीजों की प्राप्ति में भगवान को सहायक मानते थे। जिन बातों को भगत मानते थे वही बातें कभी ने अपनी वाणी में भी कही थी। इसलिए बालगोबिन भगत की कबीर पर श्रद्धा थी।

ख) लेखक ने उस व्यक्ति को संस्कृत व्यक्ति बताया हैं जिसकी योग्यता, बुद्धि ,विवेक, प्रेरणा अथवा प्रवृत्ति उसे किसी नए तथ्य का दर्शन करवाती है और वह जनकल्याण के लिए निस्वार्थ भाव से कार्य करता है। संस्कृत व्यक्ति सदा अच्छे कार्य करता है। वह प्राणीमात्र के कल्याण की चिंता करता है ।अपने कार्यों से वह किसी का अहित नहीं करता। वह स्वयं कष्ट उठाकर दूसरों को सुख देता है।

ग) हालदार साहब सोच रहे थे कि जब कैप्टन चश्मे वाला ही नहीं रहा तो सुभाष चंद्र बोस जी की मूर्ति पर चश्मा भी नहीं होगा परंतु जैसे ही उनकी जीप कस्बे के चौराहे पर पहुंची तो उन्होंने देखा कि मूर्ति पर चश्मा लगा हुआ था। वह अत्यंत आनंदित हुए तथा उत्साह में आकर उन्होंने तुरंत जीभ रुकवा दी।

घ) पुराने जमाने में लोग स्त्रियों को शिक्षा देने के विरोधी थे। प्राचीन शिक्षा प्रणाली में शिक्षा गुरु के आश्रमों और मंदिरों में दी जाती थी।वे स्त्रियों को पढ़ाने से अनर्थ होना मानते थे। धीरे-धीरे लोगों ने शिक्षा का महत्व समझा और स्त्रियों को भी पढ़ाने लगे। स्कूल-कॉलेजों में शिक्षा के नाम पर परंपरागत रूप से पढ़ाए जाने वाले विषय पढ़ाए जाते थे। अब शिक्षा प्रणाली में व्यापक परिवर्तन आ गया है। विद्यार्थियों को परंपरागत शिक्षा के साथ-साथ रोजगारोन्मुख विषय भी बनाए जाते हैं जिससे वह अपनी शिक्षा समाप्त करने के बाद से हम को किसी व्यवसाय अथवा कार्य में लगाकर आजीविका अर्जित कर सकें। स्त्रिया भी पढ़ लिखकर कुशल गृहस्थ जीवन व्यतीत करने के साथ ही समाज एवं देश के लिए अनेक उपयोगी कार्य भी कर रही है। आज सहशिक्षा में पढ़ना सामान्य बात हो गई है ।आज लड़कियों को लड़कों के समान शिक्षा के अवसर प्राप्त है।

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