निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए- क) ‘कन्यादान’ कविता में माँ ने बेटी को अपने चेहरे पर न रीझने की सलाह क्यों दी है ? ख) माँ का कौन-सा दुख प्रामाणित था, कैसे? ग) ‘जो न मिला भूल उसे कर तू भविष्य वरण’- कथन में कवि की वेदना और चेतना कैसे व्यक्त हो रही है? घ) ‘धनुष को तोड़ने वाला कोई तुम्हारा दास होगा’- के आधार पर राम के स्वभाव पर टिप्पणी किजिए। ङ) काव्यांश के आधार पर परशुराम के स्वभाव की दो विशेषताओं पर सोदाहरम टिप्पणी कीजिए।
Answers
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर इस प्रकार है:
क) ‘कन्यादान’ कविता में माँ ने बेटी को अपने चेहरे पर न रीझने की सलाह क्यों दी है ?
उतर:‘कन्यादान’ कविता में माँ ने बेटी को अपने चेहरे पर न रीझने की सलाह दी| कन्यादान कविता में बेटी की माँ ने अपनी बेटी से कहा है कि अपने चेहरे पर मत रीझना सुन्दर चेहरे की प्रशंसा सुनकर अकसर महिलाएँ खुश हो जाती हैं और सामने वाले उन से काम करवाते है और यंके गुलाम बनना पड़ता है|
ख) माँ का कौन-सा दुख प्रामाणित था, कैसे?
उतर:माँ को जब अपनी लड़की की शादी करने के बाद उसे किसी और के घर भेजना होता है , यह दुख होता प्रामाणित है | बचपन से उसे पाला और अंत में उसका कन्यादान कर देना |और एक दिन उसी संतान को किसी को दान करना पड़े तो उस दुःख को एक माँ ही समझ सकती है|
ग) ‘जो न मिला भूल उसे कर तू भविष्य वरण’- कथन में कवि की वेदना और चेतना कैसे व्यक्त हो रही है?
उतर: ‘जो न मिला भूल उसे कर तू भविष्य वरण’- कथन में कवि यह कहना चाहते है कि उन्हें समय पर कुछ प्राप्त नहीं हुआ उनके जीवन में सुख तो आया पर जब उसकी कोई अहमियत नहीं थी वह यह कहते है कि हमे जिस समय जो मिले जीवन में उसमे खुश रहना चाहिए और हर पल को खुल कर जीना चाहिए| हमने अतीत में जो कुछ प्राप्त करने की अपेक्षा की थी वो न मिलने पर उसके दुःख में अपना वर्तमान खराब नहीं करना चाहिए |
घ) ‘धनुष को तोड़ने वाला कोई तुम्हारा दास होगा’- के आधार पर राम के स्वभाव पर टिप्पणी किजिए।
उतर: राम का स्वभाव कोमल एवं शांत था इसके विपरीत परशुराम क्रोधित स्वभाव के थे इसलिए उनका गुस्सा शांत करने के लिए राम ने खुदको उनका दास कहा इससे उनकी सहनशीलता, धैर्य, गंभीरता का पता लगता है|
ङ) काव्यांश के आधार पर परशुराम के स्वभाव की दो विशेषताओं पर सोदाहरम टिप्पणी कीजिए।
उतर: परशुराम के स्वभाव से क्रोधी, बाल ब्रम्हचारी एवं क्षत्रियों के प्रबल विरोधी थे| धनुष टूटने के पश्चात् उनकी प्रतिक्रिया से उनके क्रोधी होने का प्रमाण मिलता है साथ ही धनुष क्षत्रियों के द्वारा तोड़ा गया था इसी कारण उनका क्रोध और भी अधिक था इससे उनके क्षत्रिय विरोधी होने का प्रमाण मिलता है|
Answer:
क) ‘कन्यादान’ कविता में माँ ने बेटी को अपने चेहरे पर न रीझने की सलाह दी| सुन्दर चेहरे की प्रशंसा सुनकर अकसर महिलाएँ खुश हो जाती हैं और फिर वे हमेशा उस प्रशंसा की अपेक्षा करने लगती हैं| उस प्रशंसा की अपेक्षा में वे अपनी स्वतंत्रता खो देती हैं और जीवन भर के बंधनों में बंधकर रह जाती हैं| इसीलिये कन्यादान कविता में बेटी की माँ ने अपनी बेटी से कहा है कि अपने चेहरे पर मत रीझना|
ख) जिस संतान को किसी माँ ने इतने जतन से पाल पोस कर बड़ा किया हो, उसे किसी अन्य को सौंपने में गहरी पीड़ा होती है। बच्चे को पालने में माँ को कहीं अधिक दर्द और त्याग करना पड़ता है जो एक माँ ही समझ सकती है| और एक दिन उसी संतान को किसी को दान करना पड़े तो उस दुःख को एक माँ ही समझ सकती है| अपनी बेटी को दान करते वक्त माँ का दुःख प्रमाणिक था क्योंकि उस माँ ने अपनी जीवन भर की पूँजी को एक पल में किसी दूसरे को सौंप दिया था|
ग) ‘जो न मिला भूल उसे कर तू भविष्य वरण’- कथन में कवि यह कहना चाहते है कि उन्हें समय पर कुछ प्राप्त नहीं हुआ उनके जीवन में सुख तो आया पर जब उसकी कोई अहमियत नहीं थी वह यह कहते है कि हमे जिस समय जो मिले जीवन में उसमे खुश रहना चाहिए और हर पल को खुल कर जीना चाहिए| हमने अतीत में जो कुछ प्राप्त करने की अपेक्षा की थी वो न मिलने पर उसके दुःख में अपना वर्तमान खराब नहीं करना चाहिए वल्कि भविष्य के लक्ष्यों पर अपना ध्यान केन्द्रित करना चाहिए|
घ) राम का स्वभाव कोमल एवं शांत था इसके विपरीत परशुराम क्रोधित स्वभाव के थे इसलिए उनका गुस्सा शांत करने के लिए राम ने खुदको उनका दास कहा इससे उनकी सहनशीलता, धैर्य, गंभीरता का पता लगता है|
ङ) परशुराम के स्वभाव से क्रोधी, बाल ब्रम्हचारी एवं क्षत्रियों के प्रबल विरोधी थे| धनुष टूटने के पश्चात् उनकी प्रतिक्रिया से उनके क्रोधी होने का प्रमाण मिलता है साथ ही धनुष क्षत्रियों के द्वारा टोडा गया था इसी कारण उनका क्रोध और भी अधिक था इससे उनके क्षत्रिय विरोधी होने का प्रमाण मिलता है|
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