निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए
क) “मुख्य गायक की गरज में वह (संगतकार) अपनी गूंज मिलाता आया है प्राचीन काल से” यह पंक्तियां संगतकार की कौन सी विशेषता को उद्घाटित करती है?
ख) “संगतकार का सामने न आना उसकी विफलता नहीं मनुष्यता है।” इस कथन से आप कहां तक सहमत है?
ग) जब परशुराम ने शिव धनुष के टूटने और इसे तोड़ने वाले के विषय में पूछा तो श्री राम ने सीधा उत्तर न देकर यह क्यों कहा कि “हे नाथ ! शिवजी के धनुष को तोड़ने वाला आपका ही कोई सेवक होगा”? राम -लक्ष्मण- परशुराम संवाद के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
घ) ‘छाया मत छूना’ कविता के आधार पर बताइए कि कविता में कवि ने क्या संदेश दिया है?
(Class 10 Hindi A Sample Question Paper)
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क) संगतकार हमेशा मुख्य गायक का साथ देता है। वह मुख्य गायक की प्रतिभा के कारण मुख्य गायक की गंभीर आवाज में अपनी स्वर् प्राचीन काल से ही मिलाता आया है जिससे मुख्य गायक को यह लगे कि वह अकेला नहीं है। संगतकार का साथ मुख्य गायक को उत्साह प्रदान करता है। यह संगतकार की मुख्य विशेषताएं है जो उपरोक्त पंक्तियों को उद्घाटित करती है।
ख) मुख्य गायक की तरह संगतकार में भी प्रतिभा एहसास की कमी नहीं होती है। वह भी मुख्य गायक की तरह धन और प्रसिद्धि पा सकता है किंतु वह किसी को पीछे धकेलकर आगे बढ़ने में विश्वास नहीं करता। आज के युग में ऐसी मानसिकता रखने वाले व्यक्ति को विफल कहा जाता है किंतु कवि ने उसकी विफलता को उसकी मनुष्यता कहकर पुकारा है। यह संगतकार की मनुष्यता ही है जो मुख्य गायक को उसकी परेशानी में मदद करता है।
ग) श्रीराम परशुराम क्रोधित स्वभाव से परिचित थे। वे जानते थे कि परशुराम के क्रोध को केवल विनम्रता से ही शांत किया जा सकता है और ऋषि होने के कारण वे त्रुटियों के लिए क्षमा करना भी जानते हैं। इसी कारण श्रीराम ने उत्तर दिया कि” हे नाथ शिवजी के धनुष को तोड़ने वाला आपका ही कोई सेवक होगा।”
घ) कवि ने यह संदेश दिया है कि मनुष्य के जीवन में सुख और दुख दोनों ही आते जाते रहते हैं ।यदि मनुष्य अतीत के सुखों को ही याद करता रहेगा तो उसके दुख और गहरे हो जाएंगे। उसे दुखों से भागने की अपेक्षा कठिन परिश्रम के यथार्थ का सामना करना चाहिए। जीवन के सत्य को छोड़कर उसकी छाया में भटकने से मनुष्य दुखी ही होता है।
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ख) मुख्य गायक की तरह संगतकार में भी प्रतिभा एहसास की कमी नहीं होती है। वह भी मुख्य गायक की तरह धन और प्रसिद्धि पा सकता है किंतु वह किसी को पीछे धकेलकर आगे बढ़ने में विश्वास नहीं करता। आज के युग में ऐसी मानसिकता रखने वाले व्यक्ति को विफल कहा जाता है किंतु कवि ने उसकी विफलता को उसकी मनुष्यता कहकर पुकारा है। यह संगतकार की मनुष्यता ही है जो मुख्य गायक को उसकी परेशानी में मदद करता है।
ग) श्रीराम परशुराम क्रोधित स्वभाव से परिचित थे। वे जानते थे कि परशुराम के क्रोध को केवल विनम्रता से ही शांत किया जा सकता है और ऋषि होने के कारण वे त्रुटियों के लिए क्षमा करना भी जानते हैं। इसी कारण श्रीराम ने उत्तर दिया कि” हे नाथ शिवजी के धनुष को तोड़ने वाला आपका ही कोई सेवक होगा।”
घ) कवि ने यह संदेश दिया है कि मनुष्य के जीवन में सुख और दुख दोनों ही आते जाते रहते हैं ।यदि मनुष्य अतीत के सुखों को ही याद करता रहेगा तो उसके दुख और गहरे हो जाएंगे। उसे दुखों से भागने की अपेक्षा कठिन परिश्रम के यथार्थ का सामना करना चाहिए। जीवन के सत्य को छोड़कर उसकी छाया में भटकने से मनुष्य दुखी ही होता है।
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