निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(a) एकल झिरी विवर्तन प्रयोग में, झिरी की चौड़ाई मूल चौड़ाई से दोगुनी कर दी गई है। यह केंद्रीय विवर्तन बैंड के साइज़ तथा तीव्रता को कैसे प्रभावित करेगी?
(b) द्विझिरी प्रयोग में, प्रत्येक झिरी का विवर्तन, व्यतिकरण पैटर्न से किस प्रकार संबंधित है?
(c) सुदूर स्रोत से आने वाले प्रकाश के मार्ग में जब एक लघु वृत्ताकार वस्तु रखी जाती है तो वस्तु की छाया के मध्य एक प्रदीप्त बिंदु दिखाई देता है। स्पष्ट कीजिए क्यों?
(d) दो विद्यार्थी एक 10 m ऊँची कक्ष विभाजक दीवार द्वारा 7 m के अंतर पर हैं। यदि ध्वनि और प्रकाश दोनों प्रकार की तरंगें वस्तु के किनारों पर मुड़ सकती हैं तो फिर भी वे विद्यार्थी एक-दूसरे को देख नहीं पाते यद्यपि वे आपस में आसानी से वार्तालाप किस प्रकार कर पाते हैं?
(e) किरण प्रकाशिकी, प्रकाश के सीधी रेखा में गति करने की संकल्पना पर आधारित है। विवर्तन प्रभाव (जब प्रकाश का संचरण एक द्वारक/झिरी या वस्तु के चारों ओर प्रेक्षित किया जाए) इस संकल्पना को नकारता है। तथापि किरण प्रकाशिकी की संकल्पना प्रकाशकीय यंत्रों में प्रतिबिंबों की स्थिति तथा उनके दूसरे अनेक गुणों को समझने के लिए सामान्यत: उपयोग में लाई जाती है। इसका क्या औचित्य है?
Answers
hey dude ask in english plzzzz
उत्तर-
(a)
चूंकि केन्द्रीय विवर्तन बैंड की चौड़ाई...
x ∝ 1/झिरी की चौड़ाई
इसलिये झिरी की चौड़ाई दोगुनी करने पर विवर्तन बैंड की चौड़ाई आधी और तीव्रता चौगुनी हो जायेगी।
(b)
द्विझिरी प्रयोग में, प्रत्येक झिरी का विवर्तन पैटर्न की फ्रिन्जो के साथ व्यतिकरण पैटर्न की फ्रिन्ज एकल झिरी अध्यारोपित होती है।
(c)
जब वस्तु की छाया के मध्य बिंदु पर वृत्तीय अवरोधों के किनारों से विवर्तित तरंगे मिलती हैं तो वहां का पथांतर शून्य होंने के कारण वो परस्पर व्यतिकरण करती हैं और इस कारण वहां एक प्रदीप्त अर्थात चमकदार बिंदु दिखाई देता है।
(d)
दीवार की ऊंचाई 10 मीटर ध्वनि तरंगों की तरंग दैर्ध्य कोटि की है इसलिए यह ध्वनि तरंगों में पर्याप्त विवर्तन उत्पन्न करेगी और एक विद्यार्थी की ध्वनि दीवार से विवर्तित होकर दूसरे विद्यार्थी तक पहुंच जाती है इसलिए वह आसानी से वार्तालाप कर सकते हैं लेकिन प्रकाश की तरंग दैर्ध्य दीवार की ऊंचाई की तुलना में बहुत कम है इसलिए दीवार प्रकाश तरंगों में पर्याप्त विवर्तन उत्पन्न नहीं कर पाती हैं इसलिए विद्यार्थी एक दूसरे को देख नहीं पाते।
(e)
आमतौर पर प्रकाशिक यंत्रों में लगने वाले लेंसों के द्वारकों का आकार प्रकाश की तरंग दैर्ध्य की तुलना में काफी बड़ा होता है इसलिए इन यंत्रों द्वारा बने प्रतिबिंब में विवर्तन का प्रभाव लगभग नगण्य ही रहता है इसी वजह से प्रतिबिंबों की स्थिति तथा अन्य गुणों को समझने के लिए प्रायः किरण प्रकाशिकी का प्रयोग किया जाता है