Hindi, asked by sathwik7498, 11 months ago

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए- क) मीराबाई ने श्रीकृष्ण से अपनी पीड़ा हरने की प्रार्थना किस प्रकार की है? अपने शब्दों में लिखिए। ख) पर्वतीय प्रदेश में वर्षा के सौन्दर्य का वर्णन ‘पर्वत प्रदेश में पावस’ के आधार पर अपने शब्दों में कीजिए। ग) छाया भी कब छाया को ढूँढने लगती है? ‘बिहारी’ के दोहे के आधार पर उत्तर दीजिए।

Answers

Answered by shishir303
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(क)

मीराबाई ने श्री कृष्ण से अपनी पीड़ा हरने की प्रार्थना उन उदाहरणों को देकर की है जब श्री कृष्ण ने अनेक रूप धारण कर अपने भक्तों के प्राणों और उनके मान-सम्मान की रक्षा की थी। मीराबाई द्रौपदी का उदाहरण देती हुई कहती हैं कि जब द्रौपदी का भरी सभा में दुःशासन द्वारा चीरहरण हो रहा था, तब श्रीकृष्ण ने कभी न खत्म होने वाली साड़ी प्रदान कर द्रौपदी की लाज बचाई थी। जब भक्त प्रहलाद अपने राक्षस पिता हिरण्कश्यप का कोप-भाजन बन रहा था तब प्रभु ने नरसिंह का अवतार धारण कर अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा की थी। उसी तरह जब ऐरावत हाथी मगरमच्छ के चंगुल में फंस गया और उसके पैर को मगरमच्छ ने अपने जबड़ों में जकड़ लिया था, तब उसने भगवान को पुकारा और भगवान ने सही समय पर पहुंचकर उसके प्राणों की रक्षा की थी। मीराबाई कहती हैं कि हे भगवान जिस तरह अपने संकट के समय अपने भक्तों के दुखों को दूर किया, उसी तरह आप भी मेरी पीड़ा को हर लो, मेरे दुखों को दूर कर दो।

(ख)

“पर्वत प्रदेश में पावस” के आधार पर पर्वतीय प्रदेश में वर्षा के सौंदर्य का वर्णन..  

कवि कहता है कि वर्षा ऋतु में मौसम हमेशा बदलता रहता है, अचानक तेज बारिश होने लगती है और वर्षा का जल पहाड़ों के नीचे इकट्ठा होकर एक तालाब का रूप धारण कर लेता है। वर्षा का यह स्वच्छ व निर्मल जल एक विशाल दर्पण के जैसा प्रतीत होता है, जिसमें पर्वत अपना प्रतिबिंब देखकर आत्ममुग्ध से प्रतीत होते हैं। पर्वतों के शिखर पर तरह-तरह के फूल खिलने लगते हैं। यह फूल पर्वतों के नेत्रों की तरह प्रतीत होते हैं। पर्वतों से गिरते झरने ऐसा प्रतीत होता कि वे पर्वतों की गौरव गाथा का बखान कर रहे हों। लंबे-लंबे, ऊंचे-ऊंचे वृक्ष आसमान की ओर मुँह करते हुए झूमते रहते हैं और ऐसा लगता है कि वह किसी गहन-चिंतन में विचार मग्न हों। चारों तरफ अचानक काले-काले बादल छाने लगते हैं, तब ऐसा लगता है कि बादल रूपी पंख लगाकर पर्वत आसमान में उड़ना चाहते हों। चारों तरफ छाया कोहरा धुयें के जैसा लगता है और ऐसा प्रतीत होता है कि इंद्र देवता बादल रूपी यान पर बैठकर नए-नए जादू दिखाना चाहते हों।

(ग)

छाया भी छाया को तब ढूंढने लगती है, जब जेठ माह की भरी दुपहरी होती है और प्रचंड गर्मी अपने उफान पर होती है। सूर्य एकदम सिर पर आ चमकता है, तब छाया छोटी होती चली जाती है और ऐसे में छाया ही अपनी छाया को ढूंढने लगती है। इसलिए कवि बिहारी का कहना है कि जेठ माह की प्रचंड गर्मी वाली दोपहरी सूर्य की तेज धूप में छाया भी अपनी छाया को ढूंढने लगती है।  

कवि बिहारी कहते हैं, तब भीषण गर्मी में आम जंगल भी तपोवन की तरह हो जाता है। जिस तरह तपोवन में लोग बिना किसी राग एवं द्वेष के मिल-जुलकर रहते हैं, उसी तरह भीषण गर्मी में जंगल के जानवर का हाल भी बेहाल है, और वे आपसी द्वेष को बुलाकर एक जगह बैठे हैं। यहां पर हिरण और बाघ एक साथ बैठे हैं, सांप एवं मोर एक साथ बैठे हैं।

इन प्रश्नों के पाठों से संबंधित अन्य प्रश्न...

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए --

(क) 'स्याम म्हाने चाकर राखो जी' में मीराबाई श्याम की चाकरी क्यों करना चाहती हैं ?

(ख) 'पर्वत प्रदेश में पावस' कविता में झरने किसके गौरव का गान करते हैं ? इन झरनों की तुलना किससे की गई है ?

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बिहारी के ग्रीष्म ऋतु - वर्णन को अपने शब्दों में लिखिए I

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