निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन के उत्तर दीजिए I
(क) कबीरदास ने निंदक को महत्वपूर्ण क्यों बताया है?
(ख) मीराबाई के अनुसार कृष्ण की चाकरी लाभदायक क्यों है?
(ग) बिहारी जी ने बाह्य आडंबर किन्हें कहा है और क्यों?
(घ) 'सर हिमालय का हमने न झुकने दिया' इस पंक्ति में हिमालय किस बात का प्रतिक हैं?
Answers
दिए गए प्रश्नों का अर्थ |
Explanation:
प्रश्नों का उत्तर क्रमानुसार |
1) जो व्यक्ति हमारे द्वारा किए जाने वाले कार्यों में खोट या दोष निकालता है और यहाँ तक की हमारा निंदा भी करता है वह अंजाने में ही सही परंतु हमारी ही मदद कर रहा हैं | अपने निंदकों के द्वारा किए गए निंदा को सुनकर आप अपने आप को पहले से और भी ज्यादा बेहतर और सक्षम बना सकते है जो की शायद आपके प्रशंशक को सुनकर आप न कर पाएं |
2) प्रभु कृष्ण की सेवा में ही हर एक व्यक्ति का जीवन सार्थक हो सकता है, क्योंकि अगर आप अपने जीवन को वाकई में सफल बनाना चाहते हैं तो, परमात्मा की सेवा ही एक विकल्प हैं | हर एक आत्मा का परमात्मा के साथ मिल जाना ही उसका मूलभूत सार्थकता हैं | इसीलिए प्रभु की चाकरी सर्वोत्तम हैं |
3) बिहारी जी ने बाह्य आडंबर लोक दिखावे को कहा हैं | मूल रूप से भारतीय समाज में लोग अपने बूते से ज्यादा खर्च कर के लोगों को व्यर्थ का ढ़ानढस दिखाते है जिसका कोई भी व्यावहारिक मूल्य नहीं होता |
4) यहाँ पर हिमालय को एक बहुत ही सम्मानजनक पद दिया गया हैं | हिमालय की ऊंची-ऊंची चोटी हमारे देश की गौरवमय कीर्तिओं को व्यक्त करता है, तो हमें किसी भी तौर पर इसकी सर को झुकने नहीं देना हैं क्योंकि यहीं हमारा आन-बान और शान हैं |