Hindi, asked by Lovepreet864, 10 months ago

निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन के उत्तर दीजिए I
(क) 'सच्चे मन में राम बसते हैं' बिहारी द्वारा दिए दोहे में निहित संदेश को स्पष्ट कीजिए I
(ख) 'मनुष्यता' नामक कविता से राजा रंतिदेव के बारे में बताइए I
(ग) कवि सहायक के न मिलने पर क्या प्रार्थना करता है ? 'आत्मत्राण' कविता के आधार पर उत्तर दीजिए I
(घ) पोथी पढ़ - पढ़कर भी ज्ञान प्राप्त न होने से कबीर का क्या तात्पर्य है I

Answers

Answered by anujdiwakr334
0

Answer:

) 'सच्चे मन में राम बसते हैं।' बिहारी द्वारा दिए दोहे में निहित संदेश को स्पष्ट कीजिए। (ख

Answered by shishir303
2

(क)

‘सच्चे मन में राम बसते हैं’ बिहारी द्वारा दिए गए इस दोहे में कवि बिहारी ने प्रभु की सच्ची भक्ति का संदेश दिया है। बिहारी व्यर्थ के धार्मिक कर्मकांड को दिखावा मानते हैं। उनके अनुसार माला जपने माथे पर तिलक लगाने और आडंबर पूर्ण धार्मिक कर्मकांड करने से प्रभु नहीं मिलते हैं। प्रभु राम तो सच्चे मन से भक्ति करने से ही प्रसन्न होते हैं। प्रभु को पाने के लिए आडंबर और दिखावा नहीं बल्कि सच्चे मन का होना आवश्यक है। इसलिए कवि बिहारी कहते हैं कि जिनका मन सच्चा और पवित्र होता है उनके मन में प्रभु राम बसते हैं।

(ख)

राजा रंतिदेव देव अपनी दयालुता और अतिथि सत्कार के लिए प्रसिद्ध थे। उनके दरबार में लगभग 20,000 नौकर केवल भोजन पकाने के लिए नियुक्त थे। रा रंतिदेव दिन-रात अतिथियों के स्वागत सत्कार में लगे रहते थे। एक बार भूख से अत्यन्त व्याकुल राजा रंतिदेव जब भोजन करने बैठे तो एक याचक आकर उनसे भोजन की मांस करने लगा तो राजा रंतिदेव एक पल भी देरी न करते हुये निःसंकोच होकर अपना भोजन का थाल याचक के सामने रख दिया।

(ग)

कवि सहायक के ना मिलने पर भी ईश्वर से प्रार्थना करता है। कलि सहायक के ना मिलने पर ईश्वर को कोई दोष नहीं देता है बल्कि ईश्वर से यह प्रार्थना करता है कि यदि उस पर कोई विपत्ति या संकट आए तो उसका साहस और उसका बल कम ना हो और वह अपने आत्मबल द्वारा सारे संसार से मुकाबला करने में समर्थ हो। यदि पूरा संसार भी उसके विरुद्ध खड़ा हो जाए तो भी वह अपने आत्मबल की मदद से पूरे संसार का मुकाबला करे और उसका विश्वास ना डिगे। वो दृढ़ता और साहस से अपने ऊपर आने वाली हर आपदा को कुचल कर रख दे। कवि ईश्वर से सहायक के ना मिलने पर ईश्वर से ऐसी प्रार्थना करता है।

(घ)

‘पोथी पढ़-पढ़ जग मुआ पंडित भया न कोय’ इस पंक्ति से कबीर का आशय किताबी ज्ञान की अपेक्षा प्रभु की भक्ति की ओर ध्यान देने से रहा है। कबीर के अनुसार बड़ी-बड़ी ज्ञान की पुस्तकें पढ़ने से कोई ज्ञानी नहीं हो जाता बल्कि जो प्रेम के ढाई अक्षर पढ़ लेता है, वही सच्चा ज्ञानी है। कबीर के अनुसार जिसने प्रेम को समझ लिया तथा ईश्वर के प्रति भक्ति और प्रेम को महसूस कर दिया वही सच्चा ज्ञानी है। बड़ी-बड़ी गूढ़ अर्थों वाली पुस्तकों वाला सारा ज्ञान तब तक व्यर्थ है जब तक की प्रेम का ज्ञान प्राप्त ना हो जाए।

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