निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन के उत्तर लिखिए ---
(क) तताँरा - वामीरो कहाँ की कथा है ? उस गाँव में विवाह की क्या रीति थी ?
(ख) सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्रियों की क्या भूमिका थी ?
(ग) लेखक ने चाय पिने के बाद स्वंय में क्या परिवर्तन महसूस किया ?
(घ) वज़ीर अली ने अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार क्यों नहीं की ?
Answers
(क)
“तताँरा-वामीरो की कथा” निकोबार द्वीप समूह की कथा है। निकोबार द्वीप समूह के गाँवों में ये प्रथा थी कि गाँव का लड़का या लड़की दूसरे गाँव के लड़के या लड़की से शादी नही कर सकते थे। तताँरा और वामीरो अलग-अलग गाँवों के थे।
(ख)
सुभाष बाबू के जुलूस में स्त्रियों की बेहद सक्रिय भूमिका थी। स्त्रियां पुरुषों के साथ कदमताल मिलाकर चल रही थीं। जुलूस में भारी संख्या में पुलिस का बंदोबस्त होने के बावजूद जगह-जगह स्त्रियों की टोलियां जुलूस निकाल रही थीं। स्त्रियों ने निडर होकर झंडा फहराया और अपनी गिरफ्तारियां कराई। पुलिसवालों स्त्रियों पर लाठीचार्ज भी किया गया। उसके बावजूद स्त्रियां अडिग रहीं और लाल बाजार तक आगे बढ़ती गईं।
(ग)
लेखक ने चाय पीने के बाद ऐसा महसूस किया कि जैसे उसके दिमाग की गति रुक गई हो। लेखक को प्रतीत हुआ कि उसका दिमाग बहुत धीरे-धीरे चल रहा है। लेखक को अनंत काल से जीने का एहसास होने लगा। उसे ना अतीत की और ना भविष्य की चिंता रही और उसे वर्तमान में जीने का आनंद आने लगा। यह सभी अनुभव उसे बेहद सुखद प्रतीत हो रहे थे।
(घ)
वजीरअली एक सच्चा, बहादुर, साहसी और निडर देशभक्त था। वह अंग्रेजों से नफरत करता था और अंग्रेजों का कट्टर विरोधी था। वह अंग्रेजों को अपने देश से निकाल के बाहर फेंकना चाहता था, इसके लिए उसने अंग्रेजों की गुलामी कभी भी नहीं स्वीकार की।