Hindi, asked by sphraba5972, 11 months ago

निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन के उत्तर लिखिए --
(क) 'स्याम म्हाने चाकर राखो जी' में मीराबाई श्याम की चाकरी क्यों करना चाहती हैं ?
(ख) 'पर्वत प्रदेश में पावस' कविता में झरने किसके गौरव का गान करते हैं ? इन झरनों की तुलना किससे की गई है ?
(ग) 'कर चले हम फ़िदा' कविता में क्या संदेश दिया गया है ?
(घ) कवि ने भाग्यहीन किसे माना है ? 'मनुष्यता' कविता के आधार पर उत्तर लिखिए I

Answers

Answered by shishir303
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(क)

‘स्याम म्हाने चाकर राखो जी’ में मीराबाई श्याम की चाकरी इसलिए करना चाहती हैं ताकि वह रोज श्याम जी अर्थात भगवान श्री कृष्ण के दर्शन कर सकें। यह भक्ति भाव की चरम सीमा है। मीरा श्री कृष्ण के प्रति भक्ति में उनके यहां उनका नौकर बनने तक को तैयार हैं। मीरा इसका कारण बताते हुए कहती हैं कि जब वह श्याम की सेविका बन जाएंगी तो श्याम के सेवा के बहाने उन्हें रोज श्याम जी के दर्शन होने के सौभाग्य मिलेंगे और श्याम के सेविका के रूप में उनकी सेवा करने का जो सौभाग्य उन्हें प्राप्त होगा, ये सौभाग्य तो किसी जागीर से कम नहीं है। इसके लिए मीरा बाई श्री कृष्ण के प्रति भक्ति की चरम सीमा में उनकी चाकरी करने तक को तैयार हैं।

(ख)

“पर्वत प्रदेश में पावस” कविता में झरने पर्वत के गौरव का बखान कर रहे हैं। इस कविता में कवि ने मैं झरनों की तुलना मोतियों के लड़ियों से की है। जब पहाड़ों की छाती पर बहने वाले झरने झर-झर करके गिरते हैं तो उनके पानी की बूंदे मोतियों की तरह चारों तरफ बिखर जाती है और ऐसे लगता है कि पर्वत से मोती गिर रहे हों।

(ग)

“कर चले हम फिदा” कविता में देश के लिए अपनी जान कुर्बान देने वाले कर देने वाले सैनिकों की भावनाओं तकलीफों को व्यक्त किया गया है। इस कविता में सैनिकों के त्याग बलिदान को आम जनता तक पहुंचाने की कोशिश की गई है और कवि अपने इस प्रयास में पूरी तरह सफल रहा है। कविता में एक सैनिक क्या कहना चाहता है, क्या सोचता है, वो युद्ध में किन-किन कठिनाइयों से गुजरता है। विषम परिस्थितियों में कैसे देश की रक्षा करता है। इस कविता में यह संदेश देने की कोशिश की गई है।

(घ)

‘मनुष्यता’ कविता के आधार पर कहें तो कवि ने भाग्यहीन उन व्यक्तियों को कहा है जो अपनी धन-संपत्ति पर अभिमान करते हैं। कवि कहता है कि अपनी धन-संपत्ति पर कभी भी अभिमान नहीं करना चाहिए और विनम्र बने रहना चाहिए। जो धन पर अभिमान करते हैं वह लोग बड़े भाग्यहीन होते हैं।

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