Hindi, asked by khananamta112, 1 year ago

निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न का उत्तर 250-300 शब्दों में लिखिए :
(क) जीने की कला का विश्लेषण अपने शब्दों में कीजिए।​

Answers

Answered by sadeenmamtule6
4

Answer:

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Answered by jayathakur3939
11

जीने की कला  के लिए ज़रूरी है :-

खुद को स्वीकार करें :-

जीवन में सफल होने के लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि आप कैसे हैं, आप में क्या-क्या खूबियां हैं, आपको क्या पसंद और क्या नापसंद है। अपने बारे में जानने की कोशिश करें। और आप जैसे भी हैं, खुद को वैसे स्वीकार करें। हर कोई एक जैसा नहीं हो सकता, इसीलिए आप जैसे भी हैं, खुद को पसंद करें और प्यार करें। जिस तरह से पांचों उंगलियां बराबर नहीं होतीं, वैसे ही हर कोई एक जैसा नहीं हो सकता। आप खुद को अपनी कमियों और खूबियों के साथ स्वीकार करें।

बातचीत की कला:-

कम उम्र में ही खुल कर बातचीत करने की कला सीखने से जीवन के अगले पड़ावों में बहुत आसानी होने लगती है। खासतौर पर ऐसे वक्त में जब छात्र-जीवन से ही साक्षात्कार और समूह चर्चा आपकी कामयाबी का एक अहम हिस्सा बन रहे हों। आप इसकी शुरुआत अपने विचारों को अपने माता-पिता और दोस्तों के सामने रखने से कर सकते हैं। आपको अपनी बात सामने रखने में डरना या हिचकिचाना नहीं चाहिए कि सामने वाला क्या सोचेगा। अगर आपकी बात या आपके विचार सही हैं तो वे भी इसे स्वीकार करेंगे।

सकारात्मक सोचें रखें :-

छात्रों को अपने जीवन में अपनी भावनाओं पर नियंत्रण बनाए रखना बेहद जरूरी है। कभी-कभी छोटी-मोटी नाकामयाबी उन्हें तोड़ कर रख देती है। ऐसे में जरूरी है कि वे अपनी भावनाओं में न बह कर अपनी गलतियों से सीखें और अगली चुनौती के लिए तैयारी शुरू कर दें। पिछली बात को भूल कर या उसमें सकारात्मक पहलू को खोज कर आगे बढ़ने में ही फायदा है।

क्रोध पर काबू रखें :-  

आए दिन अखबारों में युवाओं की किसी से झगड़े या मार-पीट की खबरें सुर्खियों में बनी रहती हैं। इन सब खबरों में एक चीज सामान्य है और वह है गुस्सा या क्रोध। युवाओं को अपने गुस्से पर काबू कर उस गुस्से को रचनात्मक कार्यो के लिए उपयोग करना चाहिए|

ज़िंदगी से सीखें :-  

जिंदगी तो हम सभी जी रहे हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि हम सभी जिंदगी का भरपूर मजा भी ले रहे हों। खासतौर पर अपने छात्र और नौकरी-पेशे के समय में। कोई छोटी-सी नाकामयाबी या असफलता हमें इतनी ठेस पहुंचा देती है कि हमें जिंदगी जीने का कोई उद्देश्य ही नजर नहीं आता और कभी-कभी एक सफलता हमें सातवें आसमान पर पहुंचा देती है, जिस वजह से हमें जमीन तक दिखाई नहीं देती। कामयाबी और नाकामयाबी के बीच भी जिंदगी हमसे बहुत कुछ कहती है, हमें बहुत कुछ सिखाती है।

मौज-मस्ती भी है जरूरी :-

आप छात्र हैं तो सिर्फ पढ़ाई ही आपका काम है और अगर आप नौकरी करते हैं तो ऑफिस के अलावा आप कुछ और सोच ही नहीं सकते, ऐसा कतई नहीं है। आपको अपनी निजी जिंदगी और अपने काम, दोनों में मन लगाना चाहिए और उसमें खुशी देखनी चाहिए। लेकिन कई बार छात्र कॉलेज में आते ही मान लेते हैं कि कॉलेज का मतलब सिर्फ मौज-मस्ती है तो ऐसा भी नहीं है।

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