: । (२)निम्नलिखित परिच्छेद पढ़कर चार ऐसे प्रश्न तैयार कीजिए जिनके उत्तर एक - एक वाक्य में हों : हँसने का समाजिक पक्षी भी होता है। हँसकर हम लोगों को अपने निकट ला सकते है और व्यंग्य कर उन्हें दूरस्थ बना देते है। जिस का भगाना ही उसकी थोड़ी देर हँसी - खिल्ली उडाईए, वह तुरंत बोरिया - बिस्तर गोलकर - पलायन करेगा। जितनी मुक्त हैंसी होगी, उतना समीप व्यक्ति खींचेगा। इसलिए तो श्रोताओं की सहानुभूति अपने और घसीटने के लिए चतुर वक्ता अपना भाषण किसी रोचक कहानी या घटना से आरंभ करते है। समाजिक नियमों और मुल्यो को मान्यता दिलाने पर रूढ़ियों का निष्कासित करने में पुलिस या कानून सहायता नही करता , किंतू वहाँ हास्य या चाबूक अचूक बढ़ता है। हास्य के कोड़े उपहास । हास्य के कोड़े उपहास - डक और व्यंग्य बाण मारकर आदमी को रास्ते पर लाय जा सकता । इस प्रकार गुमराह बने हुए समाज की रक्षा की जा सकती है।
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भारत विशाल देश है। इसमें पशु-पक्षी भी नाना प्रकार, रंग रूप तथा गुणों के पाए जाते हैं। कुछ बृहदाकार हैं तो कुछ सूक्ष्माकार। भारत के प्राचीन ग्रथों में पशुपक्षियों का विस्तृत वर्णन मिलता है। उस समय उनका अधिक महत्व उनके मांस के कारण था। अत: आयुर्वेदिक ग्रंथों में उनका विशेष उल्लेख मिलता है।
प्राचीन वर्गीकरण संपादित करें
प्राचीन ग्रंथों में पशुपक्षियों को दो प्रमुख वर्गों में बांटा गया था-
1. जांगल और
2. आनूप
जांगल पशुपक्षियों के आठ भेद थे:
1. जंघाल (जांघ के बल चलनेवाले),
2. बिलस्थ (बिल में रहनेवाले),
3. गुहाशय (गुफा में सोनेवाले),
4. परामृग (वृक्षों पर चढ़नेवाले),
5. विष्किर (कुरेदकर खानेवाले),
6. प्रतुद (चोंच से पदार्थ नोचकर खानेवाले),
7. प्रसह (जबरदस्ती छीन कर खानेवाले),
8. ग्राम्य (गाँव में रहनेवाले)।
आनूप पशुपक्षियों के पाँच भेद थे:
1. कलेचर (नदी आदि के किनारे चलने वाले),
2. प्लव (जल पर तैरनेवाले),
3. कौशस्थ (ढक्कन के मध्य रहनेवाले),
4. पादी (पाँववाले जलजंतु), तथा
5. मत्स्य (मछली आदि)।
भारत के प्रमुख पशुपक्षी संपादित करें
निम्नलिखित पशुपक्षियों का वर्णन इस विश्वकोश में यथास्थान किया जाएगा।
अजगर, उष्ट्र, ऊद, कछुआ, कपोत, कपोतक (पंडुक), कस्तूरी, कस्तूरीमृग, कलविंकक, कुत्ता, कोकिल, खंजन, गवल, गिद्ध, गिलहरी, गेंडा, गौर, गौरैया, गोह, घड़ियाल, चकोर, चक्रवाक, चमरी, चमगादड़, चातक, चित्रगर्दभ, चींटी, चीता, चील, छिपकली, जलकाक जलपरी, टिड्डी, तेंदुआ, तोता, त्रिखंड, दिमक, धेनश, नाग, नागराज, नीलगाय, बाघ, बिच्छू, बिल्ली, बुलबुल, भालू, भेड़, भैंसा, महाश्येन, मैना, मोर, बानर, शशक, श्येन, सिंह, सूअर और हाथी।
कुछ अन्य पशुपक्षियों का संक्षिप्त वर्णन यहाँ दिया जा रहा है। ये हैं विभिन्न प्रकार के पक्षी और कुछ स्तनधारी जीव। इनमें अधिक महत्व के हैं:
कौआ, चर्खी या सातभाई (Seven sisters), शामा (White-trumped Shama), भुजंगा (King crow), दर्जिन चिड़िया (Tailor bird), बया, मुनिया, लालतूती (Rose finch), अबाबील (Swallow), भरुत (Skylark), चंडुल, शकरखोरा, कठफोड़वा, नीलकंठ, बसंता, महोखा, या कुकुम, पतरिंगा (Bee eater), हुदहुद, हरियल, भटतीतर, बटेर, चित्रतितिर, श्वेत उलूक, शाशोलूक। जलचर पक्षियों में हंस, महाहंस, बनहंसक, तथा अन्य हंसक, बंजुल और मंजुक, क्रौंच, सारस, खरक्रोव, गंगाकुररी (Indian river tern), सामान्य कुररी, कुररिका (Common tern), वलाक (Flamingo), लघुवलाक और सर्पपक्षी प्रमुख हैं। भारत के स्तनधारी पशुओं में कुछ महत्व के हैं: शर्मीलीबिल्ली (Sow loris), उड़न लोमड़ी (Flying fox), छछुंदर मोल, काँटेदार चूहा (Hedgehog), पंडा (Panda), बिज्जु, बघेरा और तेंदुआ, लिंक्स in)।
कौआ संपादित करें
मुख्य पृष्ट : कौआ
शखाशायी पक्षियों के कार्विडी (Corvidae) कुल का कॉर्वस जाति का प्रसिद्ध पक्षी है। वैसे तो इसकी कई जातियाँ हैं, किंतु उनकी आदतों में परस्पर अधिक भेद नहीं होता। कौए संसार के प्राय: सभी भागों में पाए जाते हैं।
कौआ लगभग 20 इंच लंबा, गहरे काले रंग का पक्षी है, जिसके नर और मादा एक ही जैसे होते हैं। ये सर्वभक्षी पक्षी हैं, जिनसे खाने की कोई भी चीज नहीं बचने पाती। चलाकी और मक्कारी में कौआ सब पक्षियों के कान काटता है और चोरी में तो कोई भी चिड़िया इससे होड़ नहीं कर सकती। इसकी बोली बहुत कर्कश हेती है, किंतु सिखाए जाने पर आदमी की बोली की नकल भी कर लेता है।
हमारे देश में छोटा घरेलू कौआ (house crow), जंगली (jungle crow) और काला कौआ (raven), ये तीन कौए अधिकतर दिखाई पड़ते हैं, किंतु विदेशों में इनकी और अनेक जातियाँ पाई जाती हैं। यूरोप में कैरियन क्रो (Carrion crow), तथा हुडेड क्रो (Corvus cornix) और अमरीका में अमरीकन क्रो (Corvus branchyrhynchos), तथा फिश क्रो (Corvus ossifragus), उसी तरह प्रसिद्ध हैं, हमारे यहाँ के काले और जंगली कौए।
काक कुल में कौओं के अतिरिक्त सब तरह की मुटरियाँ (tree pies) और बनसरे (jays), भी आते हैं, जो रंगरूप में कौओं से भिन्न होकर भी उसी परिवार के पक्षी हैं।
ये सब बड़े ढीठ और चोर पक्षी हैं, जो सूखी और पतली टहनियों का भद्दा सा घोंसला किसी ऊँची डाल पर बनाते हैं। समय आने पर मादा उसमें चार छह अंडे देती है, जिन्हें नर और मादा पारी पारी से सेते रहते है
I hope fully answer