निम्नलिखित पदों के परिचय दीजिए-
1. "इस" संसार में सत्य की सदा "जीत" होती है।
2. "परिश्रम" के बिना "धन" प्राप्त नहीं होता।
Answers
निम्नलिखित पदों के परिचय दीजिए-
1. "इस" संसार में सत्य की सदा "जीत" होती है।
2. "परिश्रम" के बिना "धन" प्राप्त नहीं होता।
पद-परिचय की परिभाषा
पद परिचय का अर्थ है जब शब्द का परिचय. जिस प्रकार हम व्यक्ति का परिचय देते है जैसे उसका नाम, स्थान , उसका काम आदि. उसी प्रकार शब्दों का परिचय किया जाता है की शब्दों का व्याकरण के अनुसार क्या स्थान है इसे पद परिचय दीजिए कहते है|
इसमें संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया , क्रिया-विशेषण , संबंध बोधक ,आदि को बताया जाता है|
1. "इस" संसार में सत्य की सदा "जीत" होती है।
"इस" : निश्चयवाचक सर्वनाम , एकवचन , पुल्लिंग करता कारक |
"जीत" : भाववाचक संज्ञा , एकवचन , स्त्रीलिंग संबंध कारक|
2. "परिश्रम" के बिना "धन" प्राप्त नहीं होता।
"परिश्रम": भाववाचक संज्ञा , एकवचन , पुल्लिंग , संबंध कारक|
"धन":द्रव्यवाचक संज्ञा , एकवचन , पुल्लिंग कर्म कारक |
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Ham baagh me gaye parantu vaha koi aam n mila isme aam ka pad parichay chahiye
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Explanation:
निम्नलिखित पदों के परिचय दीजिए-
1. "इस" संसार में सत्य की सदा "जीत" होती है।
2. "परिश्रम" के बिना "धन" प्राप्त नहीं होता।
पद-परिचय की परिभाषा
पद परिचय का अर्थ है जब शब्द का परिचय. जिस प्रकार हम व्यक्ति का परिचय देते है जैसे उसका नाम, स्थान , उसका काम आदि. उसी प्रकार शब्दों का परिचय किया जाता है की शब्दों का व्याकरण के अनुसार क्या स्थान है इसे पद परिचय दीजिए कहते है|
इसमें संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया , क्रिया-विशेषण , संबंध बोधक ,आदि को बताया जाता है|
1. "इस" संसार में सत्य की सदा "जीत" होती है।
"इस" : निश्चयवाचक सर्वनाम , एकवचन , पुल्लिंग करता कारक |
"जीत" : भाववाचक संज्ञा , एकवचन , स्त्रीलिंग संबंध कारक|
2. "परिश्रम" के बिना "धन" प्राप्त नहीं होता।
"परिश्रम": भाववाचक संज्ञा , एकवचन , पुल्लिंग , संबंध कारक|
"धन":द्रव्यवाचक संज्ञा , एकवचन , पुल्लिंग कर्म कारक |