निम्नलिखित पद्यांश की संदर्भ, प्रसंग तथा विशेष सहित व्याख्या लिखिए -11-102
"एकै संग धाए नंदलाल औ गुलाल दोऊ,
दृगनि गए जु भरि आनंद महै नहीं।
धोय धोय हारी, 'पद्माकर' तिहारी सौंह
अब तो उपाय एक चित्त में चढ़े नहीं।।"
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निम्नलिखित पद्यांश की संदर्भ, प्रसंग तथा विशेष सहित व्याख्या लिखिए -11-102
"एकै संग धाए नंदलाल औ गुलाल दोऊ,
दृगनि गए जु भरि आनंद महै नहीं।
धोय धोय हारी, 'पद्माकर' तिहारी सौंह
अब तो उपाय एक चित्त में चढ़े नहीं।।"
संदर्भ : यह पंक्तियाँ फाग कविता से ली गई है | यह कविता कवि पदमाकर द्वारा लिखी गई है |
प्रसंग : इन पंक्तियों में कविता कवि पदमाकर ने | होली के दृश्य का वर्णन कर रहे है | जिस दृश्य में कृष्ण ने गोपी के साथ होली खेली थी | गोपी इस दृश्य को आँखों में बिठा बैठी है , कवि ने इस दृश्य का वर्णन किया है | गोपी के हृदय के भाव को बता रहे है |
व्याख्या : एक ही साथ , गुलालऔर नंदलाल मेरे आँखों में बस गए है | गुलाल जो है मेरी आँखों में चढ़ गया है , मैं अपनी आँखों को खोल नहीं पा रही हूँ | मैं अपनी आँखों को बार-बार धो रही हूँ | मेरा सारा आनन्द चल गया है |
एक गोपी , दूसरी गोपी को कह रही है :
तुम्हारी कसम , मैं बार बार धो कर थक गई हूँ , यह मेरी आँखों से हट नहीं रहा है | मैं हार चुकी हु | मैं क्या उपाय करूं कि, मेरी आँखों से हट जाए |