निम्नलिखित पद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए-
1. संभलो कि सुयोग न जाए चला।
कब व्यर्थ हुआ सदुपाय भला?
समझा जग को न निरा सपना।
पथ आप प्रशस्त करो अपना।।
अखिलेश्वर है अवलंबन को।
नर हो, न निराश करो मन को।।
2. प्रभु ने तुमको कर दान किए।
सब वांछित वस्तु-विधान किए।।
तुम प्राप्त करो उनको न अहो।
फिर है किसका यह दोष कहो?
समझा न अलभ्य किसी धन को।
नर हो, न निराश करो मन को।।
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नर हो, न निराश करो मन को
कुछ काम करो, कुछ काम करो
जग में रह कर कुछ नाम करो
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो
समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो
कुछ तो उपयुक्त करो तन को
नर हो, न निराश करो मन को.
संभलो कि सुयोग न जाय चला
कब व्यर्थ हुआ सदुपाय भला
समझो जग को न निरा सपना
पथ आप प्रशस्त करो अपना
अखिलेश्वर है अवलंबन को
नर हो, न निराश करो मन को
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संभलो कि सुयोग न जाए चला।
कब व्यर्थ हुआ सदुपाय भला?
समझा जग को न निरा सपना।
पथ आप प्रशस्त करो अपना।।
अखिलेश्वर है अवलंबन को।
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