निम्नलिखित पद्यांश की सन्दर्भ सहित हिन्दी में व्याख्या कीजिए और उसका काव्यगत-सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए—
या अनुरागी चित की, गति समुझै नहिं कोइ ।
ज्यौं-ज्यौं बूड़े स्याम रँग, त्यौं-त्यौं उज्जलु होइ ।।
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दिए गए दोहे का हिन्दी में अर्थ ।
Explanation:
दोहे के पहले पंक्ति में कहा गया की, हमारा जो मन है वह बहुत ही ज्यादा सुख और प्रेम के प्रति आकृष्ट होता हैं। मन के गति को इस दुनिया में मौजूद दूसरा कोई भौतिक चीज़ टक्कर नहीं दे सकता हैं। प्रकाश के गति से भी कई ज्यादा तेज मन कब-कहाँ और कैसे पहुँच जाए इसके बारे में कोई कुछ भी नहीं कह सकता हैं।
दोहे के दूसरे पंक्ति में कहा गया है की, जब-जब मन दुनिया के सांसरिक मोह-माया से जुड़ी असुविधाओं में फसता ही जाता हैं, त्यों-त्यों मन के अंदर एक परिवर्तन नजर में आता हैं। तब मन विशुद्धता की और बढ़ता हैं और आखिर में पूरी की पूरी निर्मल व चमकदार हो जाता हैं।
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