निम्नलिखित पद्यांश की सन्दर्भ सहित हिन्दी में व्याख्या कीजिए और उसका काव्यगत-सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए—
रानी मैं जानी अजानी महा, पबि पाहन हूँ ते कठोर हियो है ।
राजहु काज अकाज न जान्यो, कह्यो तिय को जिन कान कियो है ।।
ऐसी मनोहर मूरति ये, बिछुरे कैसे प्रीतम लोग जियो है ? ।
आँखिन में, सखि ! राखिबे जोग, इन्हें किमि कै बनबास दियो है ? ।।
Answers
प्रसंग: इन पंक्तियों में कवि ने ग्रामीण स्त्रियों के द्वारा कैकेयी और राजा दशरथ की निष्ठुरता पर व्यक्त प्रतिक्रिया का वर्णन किया है|
व्याख्या: वन-मग्न के समय रास्ते में स्थित एक गाँव की स्त्रियाँ राम , लक्ष्मण और सीता तथा कोमलता को देखकर रानी कैकेयी को अज्ञानी और वज्र तथा पत्थर से भी कठोर हृदय वाली नारी बताती है , क्योंकि उसे सुकुमार राजकुमारों को वनवास देते समय तनिक दया न आई| वह राजा दशरथ को भी विवेकहीन समझकर पत्नी के अनुसार कार्य करने वाला ही समझती है, और राजा में उचित-अनुचित के ज्ञान की कमी मानती है| उन्हें आश्चर्य है की इन सुन्दर मूर्तियों से बिछड़कर इनके प्रियजन कैसे जीवित रहेंगे| हे सखी यह तीनों तो आँखों में बसाने योग्य हैं तब इन्हें किस कारण वनवास दिया गया है|
काव्यगत-सौन्दर्य
यहाँ कवि ने ग्रामीण बालाओं की श्रीराम के प्रति सहय्द्ता का सुंदर चित्रण किया है|
भाषा-ब्रज
कान भरना और आँखों में रखना जैसे मुहावरों का समावेश |
शैली-मुस्तक
छंद-सवैया
रस-करुण और श्रृंगार
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निम्नलिखित पद्यांश की सन्दर्भ सहित हिन्दी में व्याख्या कीजिए और उसका काव्यगत-सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए—
यहीं कहीं पर बिखर गयी वह, भग्न विजय-माला-सी ।
उसके फूल यहाँ संचित हैं, है यह स्मृति-शाला-सी ।।
सहे वार पर वार अंत तक, लड़ी वीर बाला-सी ।
आहुति-सी गिर चढ़ी चिता पर, चमक उठी ज्वाला-सी ।।