Hindi, asked by ashpreetj8404, 8 months ago

निम्नलिखित पद्यांश की सन्दर्भ सहित हिन्दी में व्याख्या कीजिए और उसका काव्यगत-सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए—
द्वार बलि का खोल चल, भूडोल देें
एक हिम-गिरि एक सिर का मोल कर दें,
मसल कर, अपने इरादों-सी, उठा कर,
दो हथेली हैं कि पृथ्वी गोल कर दें ?
रक्त है ? या है नसों में क्षुद्र पानी !
जाँच कर, तू सीस दे-देकर जवानी ?

Answers

Answered by jayakumari25111993
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Answer:

pta nhi, sorry guys my class is 5

Answered by jayathakur3939
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प्रसंग :- प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से चतुर्वेदी जी देश के युवा वर्ग को उत्साहित कर रहे हैं कि वह देश की वर्तमान परिस्थिति को बदल दें।।

चतुर्वेदी जी युवकों का आह्वान करते हुए कहते हैं कि हे युवको ! तुम अपनी मातृभूमि के लिए बलिदान देने की परम्परा का द्वार खोलकर इस धरती को कम्पायमान कर दो और हिमालय के एक-एक कण के लिए एक-एक सिर समर्पित कर दो।।

हे नौजवानो ! तुम्हारे संकल्प बहुत ऊँचे हैं जिन्हें पूर्ण करने के लिए तुम्हारे पास दो हथेलियाँ हैं। अपनी उन हथेलियों को अपने ऊँचे संकल्पों के समान उठाकर तुम पृथ्वी को गोल कर सकते हो; अर्थात् बड़ी-सेबड़ी बाधा को हटा सकते हो।

हे वीरो ! तुम अपनी युवावस्था की परख अपने शीश देकर कर सकते हो। इस बलिदानी परीक्षण से तुम्हें यह भी ज्ञात हो जाएगा कि तुम्हारी धमनियों में शक्तिशाली रक्त दौड़ रहा है अथवा उनमें केवल शक्तिहीन पानी ही भरा हुआ है।

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