Hindi, asked by Walden8877, 11 months ago

निम्नलिखित पद्यांश की सन्दर्भ सहित व्याख्या कीजिए और काव्यगत सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए—
कदली सीप भुजंग-मुख, स्वाति एक गुन तीन ।
जैसी संगति बैठिए, तैसोई फल दीन ।।

Answers

Answered by ranyodhmour892
1

Answer:

कदली, सीप, भुजंग मुख, स्वाति एक गुन तीन।

जैसी संगति बैठिए, तैसोई फल दीन॥

अर्थ

स्वाति नक्षत्र की वर्षा की बूँद तो एक ही हैं, पर उसके गुण अलग-अलग तीन तरह के देखे जाते हैं। कदली में पड़ने से, कहते हैं कि, उस बूंद का कपूर बन जाता है। ओर, अगर सीप में वह पड़ी तो उसका मोती हो जाता है। साँप के मुहँ के में गिरने से उसी बूँद का विष बन जाता है। जैसी संगत में बैठोगे, वेसा ही परिणाम उसका होगा।[1]

Ad

पीछे जाएँ

रहीम के दोहे आगे जाएँ

टीका टिप्पणी और संदर्भ

यह कवियों की मान्यता है, ओर इसे ‘कवि समय’ कहते हैं।

Answered by shrutisharma4567
3

Plz mark it as BRAINLIEST

Attachments:
Similar questions