Hindi, asked by vire2, 2 months ago

निम्नलिखित पद्यांश में प्रमुख अलंकार की पहचान कर कर उसका नाम लिखिए ! संध्या पर इसी धीरे धीरे​

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Answered by Anonymous
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Explanation:

अनुप्रास अलंकार

एक या अनेक वर्गों की पास-पास तथा क्रमानुसार आवृत्ति को ‘अनुप्रास अलंकार’ कहते हैं। इसके पाँच भेद हैं-

(i) छेकानुप्रास जहाँ एक या अनेक वर्णों की एक ही क्रम में एक बार आवृत्ति हो वहाँ छेकानुप्रास अलंकार होता है;

जैसे-

“इस करुणा कलित हृदय में,

अब विकल रागिनी बजती”

यहाँ करुणा कलित में छेकानुप्रास है।

(ii) वृत्यानुप्रास काव्य में पाँच वृत्तियाँ होती हैं-मधुरा, ललिता, प्रौढ़ा, परुषा और भद्रा। कुछ विद्वानों ने तीन वृत्तियों को ही मान्यता दी है-उपनागरिका, परुषा और कोमला। इन वृत्तियों के अनुकूल वर्ण साम्य को वृत्यानुप्रास कहते हैं;

जैसे-

‘कंकन, किंकिनि, नूपुर, धुनि, सुनि’

यहाँ पर ‘न’ की आवृत्ति पाँच बार हुई है और कोमला या मधुरा वृत्ति का पोषण हुआ है। अत: यहाँ वृत्यानुप्रास है।

(iii) श्रुत्यनुप्रास जहाँ एक ही उच्चारण स्थान से बोले जाने वाले वर्षों की आवृत्ति होती है, वहाँ श्रुत्यनुप्रास अलंकार होता है;

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Answered by kambojpk79
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Answer:

धीरे धीरे -पुनरूक्ति प्रकाश अलंकार

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