Hindi, asked by onshisahu931, 1 month ago

निम्नलिखित पद्यांशों में से किसी एक की सन्दर्भ सहित व्याख्या कीजिए। तथा कार्य सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए। (क) प्रभु जी तुम चंदन हम पानी। जाकी अंग-अंग बास समानी।। प्रभु जी तुम घन वन हम मोरा। जैसे चितवत चंद चकोरा।। प्रभु जी तुम दीपक हम बाती। जाकी जोति बरै दिन राती।। प्रभु जी तुम मोती हम धागा। जैसे सोनहिं मिलत सोहागा।। प्रभु जी तुम स्वामी हम दासा। ऐसी भक्ति करै रैदासा।। ​

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Answered by sms9th17
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Answer:

oooooooooooooooooooooooooo

Answered by captcssajwan
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your answer..

  • व्याख्या : रैदास जी कहते हैं कि अब उनका मन भगवान राम में लग गया है। वे कहते हैं – प्रभु जी चन्दन के समान है और हम पानी के समान जिसके शरीर पर लगने से अंग अंग सुगंधित हो जाता है। प्रभु जी बादल के समान हैं और भक्त मोर के समान। ... सच्ची भक्ति और एक निष्ठता व्याप्त है।

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