निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखिए।
एक मनुज संचित करता है,
अर्थ पाप के बल से,
और भोगता उसे दूसरा,
भाग्यवाद के छल से।
नर समाज का भाग्य एक है,
वह श्रम, वह भुजबल है,
जिसके सम्मुख झुकी हुई..
पृथ्वी, विनीत नभ-तल है ।
जिसने श्रम जल दिया उसे
पीछे मत रह जाने दो,
विजीत प्रकृति से पहले उसको सुख पाने दो ॥
A.
B.
D.
E.
यह पद्यांश किस कविता से लिया गया है?
नर समाज का भाग्य क्या है?
किसने पृथ्वी और आकाश पर विजय प्राप्त की है?
पहले सुख पाने का अधिकार श्रम करने वालों को क्यों मिलना चाहिए?
पद्यांश किस वर्ग के लोगों के बारे में है?
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Explanation:
Nal Samaj ka Bhagya hai hai kya Bhagya hai hi vah Bhujbal Jiska samuh vah Jhuki Hui Hote Hain
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